Monday, November 25, 2024

टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कैसे बढ़ाता है मोटापा – शोध

नई दिल्ली। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने फैट सेल्‍स के जरिए यह पता लगाया है कि मोटापा टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कैसे बढ़ाता है। सेल रिपोर्ट्स में प्रकाशित अध्ययन, टाइप 2 मधुमेह और अन्य पुरानी बीमारियों के लिए नए इलाज विकसित करने में मदद कर सकता है। यह अध्ययन फैट स्टेम कोशिकाओं को नई, छोटी वसा कोशिकाओं में विकसित करने में मदद करके काम करता है।

 

मीरापुर विधानसभा उपचुनाव में किसको कहाँ कितने वोट पड़े, यहाँ देखें पूरी लिस्ट

 

पहली बार, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-लॉस एंजिल्स की टीम ने दिखाया कि मोटापा शरीर के लिए राइबोसोमल कारकों नामक प्रमुख सेलुलर बिल्डिंग ब्लॉक का उत्पादन करना मुश्किल बना सकता है। पर्याप्त राइबोसोमल कारकों के बिना फैट स्टेम कोशिकाएं कार्यशील फैट सेल्स का उत्पादन नहीं कर सकती हैं। उनकी ऊर्जा फंस जाती है और वे आकार में बढ़ जाती हैं और मधुमेह के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

 

वाराणसी में थानाध्यक्ष को कार से खींचकर बुरी तरह पीटा, कार में उनके पत्नी-बच्चे भी थे सवार

 

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-लॉस एंजिल्स में इंटीग्रेटिव बायोलॉजी एंड फिजियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. क्लाउडियो विलान्यूवा ने कहा, ”फैट टिशू को अक्सर हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है, लेकिन वास्तव में यह हमारे शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।” विलानुएवा ने बताया कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में बहुत अधिक ‘फैट टिशू होते है जो बेहतर तरीके से काम नहीं कर रहे होतेे। वसा स्टेम कोशिकाएं हमारे शरीर में वसा कोशिकाओं को बनाने का काम करती है। लेकिन अगर इन कोशिकाओं को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते हैं, तो वे वसा कोशिकाओं को ठीक से नहीं बना पाती हैं। फैट टिशू भोजन से ऊर्जा को स्टोर करते है। हालांकि जब यह ठीक से काम नहीं करता है तो अतिरिक्त ऊर्जा शरीर में कहीं और जमा हो जाती है जैसे कि लीवर में फैटी लीवर रोग या हृदय में जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस या स्ट्रोक होता है। इस शोध में मोटे और शुगर से ग्रस्त चूहों को शामिल किया गया।

 

कुंदरकी प्रत्याशी समेत 22 सपाई सीतापुर में पुलिस ने लिए हिरासत में, अखिलेश से मिलने जा रहे थे !

इन चूहों की वसा कोशिकाएं दुबले चूहों की तुलना में चार से पांच गुना बड़ी थीं। टीम ने उन्हें रोसिग्लिटाजोन दिया। परिणामों से पता चला कि उनके राइबोसोमल कारक सामान्य स्तर तक बढ़ गए, जिससे उनकी वसा स्टेम कोशिकाओं को नए, छोटे वसा कोशिकाओं का उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया गया। इससे छोटी वसा कोशिकाएं बनने लगीं। इसके अलावा, इससे चूहों के वसा ऊतक ऊर्जा भंडारण में ठीक से काम करने में सक्षम हो गए। ये मेटाबॉलिज्म को विनियमित करने वाले प्रमुख हार्मोन भी उत्पन्न करते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि हालांकि दवा लेने के बाद चूहे मोटे रहे, लेकिन उनमें टाइप 2 डायबिटीज गायब हो गई।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय