नई दिल्ली। लोकसभा में आज भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों और सीमा विवाद के मौजूदा हालात पर अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बहाली की दिशा में कूटनीतिक प्रयास किए जा रहे हैं और इससे स्थिति में काफी सुधार हुआ है।
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विदेश मंत्री ने बताया कि भारत और चीन के बीच सहमति बनी है कि मौजूदा स्थिति से कोई पक्ष छेड़छाड़ नहीं करेगा और सभी मुद्दों का समाधान आपसी सहमति से ही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गलवान की घटना के बाद पैदा हुए तनाव के बावजूद दोनों देशों ने बातचीत और समझौतों के जरिये सुधार की दिशा में कदम उठाए हैं।
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एस. जयशंकर ने एलएसी पर स्थिति सामान्य करने के लिए भारतीय सेना की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता बहाल करने में सेना का योगदान उल्लेखनीय है।
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उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत-चीन संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते, जब तक सीमा पर शांति और स्थिरता नहीं लौटती। दोनों देशों के बीच हुए पुराने समझौतों का पालन करना बेहद जरूरी है। जयशंकर ने कहा कि यथास्थिति में किसी भी प्रकार का एकतरफा बदलाव स्वीकार्य नहीं है।
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गलवान की घटना का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा कि उस समय पेट्रोलिंग बंद थी, लेकिन अब कूटनीतिक प्रयासों से स्थिति में सुधार आया है। उन्होंने 1962 के भारत-चीन संघर्ष का जिक्र करते हुए पाकिस्तान द्वारा कब्जाई गई भारतीय जमीन को चीन को सौंपने की घटना को भी उठाया।
जयशंकर ने कहा कि सीमा विवाद के समाधान के लिए भारत प्रतिबद्ध है। कूटनीति और सेना के संयुक्त प्रयासों से सीमा पर स्थिरता लाने की दिशा में काम किया जा रहा है।