लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 2017 में शुरू की गई मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना ने प्रदेश के गरीब और वंचित परिवारों के लिए सामाजिक सुरक्षा और सम्मानजनक विवाह का रास्ता खोला है। यह योजना अब तक उत्तर प्रदेश की चार लाख से अधिक गरीब बेटियों के लिए वरदान साबित हो चुकी है। 2 लाख रुपये की वार्षिक आय सीमा के अंतर्गत आने वाले सभी वर्गों के परिवार इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। इस योजना के तहत, चालू वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक 25,000 से अधिक जोड़ों का विवाह संपन्न हो चुका है।
योजना का उद्देश्य उन गरीब परिवारों की मदद करना है, जो आर्थिक तंगी के कारण अपनी बेटियों की शादी में रीति-रिवाजों और सामाजिक मानदंडों को पूरा नहीं कर पाते। यह योजना न केवल बेटियों के विवाह के खर्च को कम करती है, बल्कि उन्हें एक सम्मानजनक वैवाहिक जीवन की शुरुआत का अवसर भी देती है। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना ने उत्तर प्रदेश में सामाजिक और आर्थिक विकास के एक नए अध्याय की शुरुआत की है। यह न केवल गरीब परिवारों के लिए आर्थिक राहत का माध्यम है, बल्कि यह समाज में समानता, समरसता और समर्पण के मूल्यों को भी प्रोत्साहित करती है।
सीएम योगी आदित्यनाथ के इस कदम ने प्रदेश की बेटियों के लिए एक नई उम्मीद और एक बेहतर भविष्य को सुरक्षित किया है। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत प्रत्येक जोड़े पर 51,000 रुपये का खर्च किया जाता है। इसमें से 35,000 रुपये वधू के खाते में जमा किए जाते हैं, जबकि 10,000 रुपये से कपड़े, गहने और अन्य जरूरी वस्तुओं की व्यवस्था की जाती है। शेष 6,000 रुपये विवाह समारोह के पंडाल और अन्य व्यवस्थाओं पर खर्च किए जाते हैं। सामूहिक विवाह समारोहों को प्रत्येक धर्म और समुदाय के रीति-रिवाजों के अनुसार आयोजित किया जाता है। इससे विभिन्न जातियों और धर्मों के बीच सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलता है। चालू वित्तीय वर्ष में गोरखपुर, रामपुर और बिजनौर जैसे जिलों में अब तक सबसे अधिक जोड़ों का विवाह संपन्न हुआ है।
बिजनौर में 1,974, गोरखपुर में 1,678, और रामपुर में 1,653 जोड़ों का विवाह इस योजना के तहत कराया गया है। सामूहिक विवाह योजना की सबसे बड़ी खासियत इसकी समावेशिता है। यह योजना हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और अन्य सभी समुदायों के लिए समान रूप से लागू है। विवाह कार्यक्रम पूरी तरह से सामाजिक और धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुरूप होते हैं। इसके लिए राज्य सरकार ने प्रत्येक जिले में पात्र लाभार्थियों की पहचान के लिए नगर पंचायत, नगर पालिका और क्षेत्र पंचायतों को जिम्मेदारी सौंपी है। योजना का लाभ उठाने वाले लाभार्थियों की संख्या में बीते पांच वर्षों में लगातार वृद्धि हुई है।
वित्तीय वर्ष 2020-21 में जहां 22,780 जोड़े इस योजना से लाभान्वित हुए, वहीं 2023-24 तक यह संख्या 1,04,940 तक पहुंच गई। चालू वित्तीय वर्ष में भी अब तक 25,000 से अधिक जोड़ों का विवाह संपन्न हो चुका है और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकार ने इस योजना के लिए चालू वित्तीय वर्ष में 600 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है, जिसमें से आधे से अधिक धनराशि पहले ही जिलों में स्थानांतरित की जा चुकी है। यह योजना गरीब परिवारों के लिए न केवल आर्थिक मदद का माध्यम है, बल्कि उन्हें सामाजिक सुरक्षा का भी एहसास कराती है। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में समय-समय पर बदलाव किए गए हैं, ताकि यह और प्रभावी बन सके। पहले प्रत्येक कार्यक्रम में 10 जोड़ों का विवाह कराया जाता था, लेकिन अब इसे घटाकर 5 जोड़ों तक सीमित कर दिया गया है।
यह बदलाव विवाह समारोहों के बेहतर प्रबंधन और लाभार्थियों की व्यक्तिगत जरूरतों को ध्यान में रखकर किया गया है। इसके अलावा, शादी के बाद नवविवाहित जोड़ों को उनके अधिकारों और योजनाओं की जानकारी देने के लिए सरकार विशेष जागरूकता कार्यक्रम भी चला रही है। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना न केवल आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की मदद करती है, बल्कि यह समाज में सामाजिक समानता और सांस्कृतिक विविधता का भी उत्सव है। यह योजना बेटियों को सम्मानजनक जीवन की शुरुआत करने का मौका देती है और उनके माता-पिता को आर्थिक तंगी की चिंता से मुक्त करती है। सीएम योगी की यह योजना ‘सबका साथ, सबका विकास’ के विजन का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत कर रही है।