Monday, March 10, 2025

शामली: दीनदयाल उपाध्याय किसान योजनान्तर्गत प्रदेश की बंजर, बीहड़ जलभराव ऊंची-नीची जमीनों को बनाया जा रहा है कृषि योग्य

शामली। देश और प्रदेश में लगातार बढ़ती जनसंख्या के अनुरूप अन्न के उत्पादन को बढ़ाना जरूरी है। शहरों के विस्तार एवं औद्योगीकरण से उपजाऊ भूमि घटती जा रही है। ऐसे में कृषि योग्य भूमि को बढ़ाना जरूरी है। उ०प्र० में जमीन का बड़ा हिस्सा ऐसा है, जहां परिस्थितियों के चलते किसान खेती नहीं कर पा रहे है। बीहड़, बंजर, असमतल और जलभराव के कारण काफी जमीन बेकार पड़ी है। लगातार बढ़ रही जनसंख्या को खाद्यान्न उपलब्ध करने के लिए कृषि उत्पादन व उत्पादकता में बढ़ोतरी जरूरी है और यह तभी संभव है जब खेती के लिए भूमि की उपलब्धता हो।

 

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प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की बंजर, बीहड़ और असमतल जलभराव भूमि को कृषि योग्य बनाकर खेती का दायरा बढ़ाने पर बल दिया है। इससे उत्पादन तो बढ़ेगा ही साथ ही किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। प्रदेश सरकार पं. दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना के तहत खराब पड़ी भूमि में 01 लाख 19 हजार 250 हेक्टेयर से अधिक भूमि को खेती योग्य बनायी जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना प्रदेश के 74 जिलों में लागू किया है। योजना के तहत प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि सुधार के विविध कार्यक्रम चलायें जा रहे हैं। किसानों, भूमिहीन मजदूरों, अनुसूचित जातियों की आवंटित भूमि दुरुस्त होगी और उन्हें अपने खेत के सुधार में काम करने पर मनरेगा से रोजगार भी मिलेगा।

 

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प्रदेश में बीहड़, बंजर व जलभराव क्षेत्रों के सुधार व उपचार के लिए 2022-23 से 2026-27 तक पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना चलाई जा रही है। गौतमबुद्ध नगर को छोड़कर प्रदेश के शेष 74 जिलों में यह योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत चयनित परियोजना क्षेत्र के सभी किसान व किसान मजदूर इसमें लाभार्थी होंगे। परियोजना क्षेत्र के चयन में उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जहां लघु व सीमांत किसान और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति किसानों व भू-आवंटियों की अधिकता होगी।

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योजना के तहत चयनित परियोजना क्षेत्र में शत-प्रतिशत अनुदान पर बीहड़, बंजर भूमि सुधार व क्षेत्र सुधार का कार्य राज्य सेक्टर से और जलभराव क्षेत्र का उपचार कार्य मनरेगा से कराया जाएगा। इस कार्य के लिए पांच साल में 602.68 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इनमें 501.59 करोड़ रुपये राज्य सेक्टर से और 51.25 करोड़ रुपये मनरेगा से और 49. 84 करोड़ रुपये किसानों के अंश से व्यय किया जाएगा।

 

 

 

 

इस योजना से कृषि, वानिकी, उद्यानीकरण के साथ फसलों का उत्पादन होगा। परियोजना क्षेत्र में सुधार की गई भूमि पर जरूरत के हिसाब से कृषि वानिकी व उद्यानीकरण के साथ ही उपचारित क्षेत्र में 50 प्रतिशत अनुदान पर फसलों का उत्पादन कराया जाएगा। योजना के तहत 219250 लाख हेक्टेयर बीहड़, बंजर भूमि का सुधार व जलभराव भूमि क्षेत्र का उपचार किया जाएगा। इससे कृषि उत्पादन, किसानों की आय व भूजल स्तर में बढ़ोतरी होगी, साथ ही पांच साल में दो करोड़ मानव दिवस सृजित होने का अनुमान है। प्रदेश में वर्ष 2017-18 से 2023-24 तक पांच साल तक चली किसान समृद्धि योजना में  2.39 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल भूमि को कृषि योग्य व अधिक उपजाऊ बनाया जा चुका है। इस परियोजना क्षेत्र में विभिन्न फसलों के लिए 8.58 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है और उपचारित क्षेत्र के किसानों की आय में 48 प्रतिशत व भूजल स्तर में 1.42 मीटर की वृद्धि हुई है।

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