वाराणसी। काशी में होली महापर्व का आगाज अनोखे अंदाज में हुआ। सोमवार को मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म से महाश्मशान होली खेली गई। मान्यता है कि बाबा महादेव के गणों की यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जिसमें मृत्यु को उत्सव के रूप में स्वीकार कर आनंद के रंग बिखेरे जाते हैं।
भस्म होली के दौरान बाबा महादेव के भक्तों ने जमकर अबीर-गुलाल उड़ाया और भस्म को तिलक कर एक-दूसरे को रंगा। डमरूओं की गूंज और “हर हर महादेव” के जयकारों के बीच घाट पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने भस्म, गुलाल और चंदन से एक-दूसरे को रंगा और शिवभक्ति में लीन होकर भक्ति गीतों पर झूमते नजर आए।
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मणिकर्णिका घाट पर खेली जाने वाली इस अनोखी होली का एक विशेष महत्व है। मान्यता के अनुसार, यह पर्व मृत्यु और जीवन के भेद को मिटाकर शिव के अनंत स्वरूप का दर्शन कराता है। भक्तों का मानना है कि इस उत्सव में शामिल होने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।