कई लोगों को यह कहते सुना जा सकता है कि मंगलवार में धरती में खुदाई न करें, भूमि में बीजारोपण न किया जाये। बृहस्पतिवार में बाल न कटवाये, कपड़े न धोये, शनिवार में लोहा न खरीदे।
कोई भी नया कार्य शुभ मुहूर्त विचार कर किया जाये। यह एक मिथ्या धारणा है, ऐसा करना क्यों वर्जित है, उसका कोई आधार पर ऐसा कहने वालों के पास नहीं है। किसी दिन को शुभ और किसी दिन को अशुभ माना जाना स्पष्ट रूप से अंधविश्वास है।
ऐसे मन्तव्यों के पीछे किसी प्रकार का विवेक सम्मत तर्क नहीं है। मनुष्य को समझना चाहिए कि सब दिन उस प्रभु के ही बनाये हुए हैं, उनका नामकरण भले ही अपनी सुविधा के लिए अपनी बुद्धि के अनुसार हमने किया हो।
परमात्मा शुद्ध-बुद्ध और पवित्र है। उसकी रचना में दोष निकालना मनुष्य की अपनी विकृत बुद्धि का प्रदर्शन मात्र है। उसकी किसी रचना में कोई दोष हो ही नहीं सकता। शुभ कार्यों के लिए हर दिन शुभ और अशुभ कार्यों के लिए सब दिन अशुभ हैं।