भारत पर्वों का देश है। यहां अनेक पर्व मनाये जाते हैं। प्रत्येक पर्व के कुछ न कुछ बड़े प्रयोजन है, उनका अपना महत्व है। महत्व समझे बिना पर्व मनाना निष्प्रयोजन ही रहेगा। व्यक्ति हो, समाज हो, अथवा देश हो रक्षा की डोर अन्तरात्मा से जुडी हो। इसलिए रक्षा बंधन का पर्व सांकेतिक है।
बहन अपने भाई को, शिष्य अपने गुरू को, भक्त अपने भगवान को और नागरिक अपने सैनिकों को रक्षा सूत्र बांधकर रक्षा बंधन का पर्व मनाते आ रहे हैं। यह सिद्धांत है कि जो बलशाली है, शक्तिशाली है वह बलहीन की व शक्तिहीन की रक्षा करता है।
धनवान है तो निर्धन की सहायता करके उसकी रक्षा करता है। निरोगी अवश्य ही रोगी की सेवा सुश्रुषा करता है और पुण्यात्मा सदैव पापी का सबल बनता है। जीवन का सूत्र भी यही रक्षा मंत्र है। रक्षा बंधन नि:संदेह रक्षा के संकल्प का अवसर है।
यह भारतीय उपमहाद्वीप में भाई-बहन का अद्भुत त्यौहार है। यह पर्व संसार का सबसे बड़ा धार्मिक सद्भाव एवं साम्प्रदायिक एकता का महापर्व होना चाहिए, जिसमें रक्षा सूत्र से एक-दूसरे का सम्मान, सदाश्यता, प्रेम, व्यवहार और हितलाभ का आश्वासन हो। इसलिए इस पर्व को राष्ट्रीय सुरक्षा के परिपेक्ष्य में देखा जाये।