वाराणसी । बड़ागांव थाना क्षेत्र के कुड़ी गांव में शुक्रवार को दिल को छूने वाली एक घटना प्रकाश में आई है। गांव में एक महिला को मृत मानकर उसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी हो गया था। जब उस महिला को लगभग 32 साल बाद उसके बेटों और परिजनों ने जीवित देखा तो उनकी आखें छलक उठी। 32 साल बाद मां और बेटों के मिलन की बात सुन ग्रामीणों की भीड़ भी जुट गई।
कुड़ी गांव निवासी उमा देवी के पति बिहार में नौकरी करते थे। वहीं पत्नी को लेकर गए थे। बच्चे छोटे थे जो गांव पर ही रहते थे। वर्ष 1993 में उमा देवी के पति सीताराम पाठक की मौत हो गई। पति की मृत्यु के बाद उमा की मानसिक स्थिति बिगड़ गई। इसी बीच वह बिहार से अपने पति के पैतृक गांव वाराणसी के बड़ागांव कुड़ी आने के लिए निकलीं, लेकिन होशोहवास में न रहने के कारण दुर्भाग्यवश घर नहीं पहुंच पाईं। उनके परिजनों ने काफी समय तक उनकी तलाश
की , लेकिन कोई परिणाम नहीं मिला। कई सालों तक उनकी गुमशुदगी का मामला बिहार और वाराणसी पुलिस में दर्ज किया गया और अंततः मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया। फिर अचानक 32 साल बाद, बीते बुधवार की रात कुड़ी गांव के प्रधान, चंदगी राम यादव को लखनऊ के पॉल मर्सी होम से एक फोन आया। फोन में बताया गया कि एक महिला, जो अपना नाम उमा देवी (71)पत्नी सीताराम पाठक और घर का पता कुड़ी गांव बता रही है, वहां मौजूद है। तुरंत ग्राम
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प्रधान चंदगी राम यादव महिला के दोनों बेटों दयाशंकर पाठक ‘लल्लू’ एवं अरविंद कुमार पाठक ‘कल्लू’के साथ लखनऊ पहुंचे। सामने मां को जीवित देख दोनों बेटे खुशी से रो पड़े। फिर अपनी बूढ़ी मां को लेकर वापस कुड़ी गांव लौटे। गांव में, उमा देवी से 32 साल बाद मिलने पर परिजन बेहद भावुक हो गए। परिवार में बहुएं और पोते भी दादी को देख बेहद खुश दिखे। गांव में भी लोग मां —बेटों के मिलन की चर्चा कर परिजनों और ग्राम प्रधान को बधाई देते रहे।