मुजफ्फरनगर। जिले में गत 5 अप्रैल 2011 को सिविल लाइन थाने में तैनात सिपाही शाकिर का अपहरण कर गोली मारकर हत्या के सनसनीखेज मामले में चार आरोपी शाकिर की पत्नी रेशमा,सास इशरत जहां, एक वकील भारतवीर व अमित को कोर्ट ने सबूत के अभाव में बरी कर दिया है। जबकि मामले के एक आरोपी सिपाही रामवीर की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है।
बृहस्पतिवार को मामले की सुनवाई जिला जज चवन प्रकाश की कोर्ट में हुई जिसमें बचाव पक्ष की ओर से वकील चंद्रवीर सिंह व वरिष्ठ अधिवक्ता वकार अहमद ने पैरवी की जिसमें न्यायधीश के द्वारा सबूत के अभाव में हत्याकांड में शामिल चार आरोपियों को बरी कर दिया गया।
वकार अहमद एडवोकेट ने जानकारी देते हुए बताया कि सिविल लाइन थाने पर तैनात सिपाही शाकिर पुलिस लाइन में रहता था, जो कि 3 अप्रैल 2011 को रात्रि के समय कहीं चले गए थे जिसके बाद उनकी पत्नी रेशमा के द्वारा 4 अप्रैल को उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी लेकिन 5 अप्रैल को ही भोपा पुल के पास से उनका शव बरामद हुआ था। जिसके बाद 15 तारीख में शाकिर के पिता के द्वारा 5 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था जिसमें उनके द्वारा न्यायालय में 14 गवाह पेश किए गए थे. जिसमें 12 साल तक पूरी कार्रवाई चली जिसके बाद बृहस्पतिवार को न्यायालय के द्वारा दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद मुलजिम पक्ष के सभी लोगों को बरी कर दिया गया ।
मृतक सिपाही शाकिर की हत्या का आरोप उसकी पत्नी और सास पर सिपाही शाकिर के पिता ने लगाए थे। पीड़िता रेशमा खान ने कहा कि 12 साल का समय बहुत कठिन गुजरा है और हम पर जिस तरह के आरोप लगाए गए थे उन्हें आज न्यायालय ने नकार दिया है और हमें क्लीन चिट दी है। उन्होंने कहा कि हमें शुरू से ही न्यायालय पर भरोसा था।