लखनऊ- उत्तर प्रदेश में बहुप्रतीक्षित शहरी स्थानीय निकाय चुनाव की तारीखों की औपचारिक घोषणा रविवार को राज्य निर्वाचन आयोग ने कर दी और इसके साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गयी है।मतदान दो चरणों में होगा। पहले चरण का मतदान चार मई को और दूसरे चरण का मतदान 11 मई को होगा। मतगणना 13 मई को होगी। मुज़फ्फरनगर समेत सहारनपुर मंडल में पहले चरण में ही चुनाव होगा।
राज्य चुनाव आयुक्त मनोज कुमार ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा कि राज्य में 760 शहरी स्थानीय निकाय हैं जिनमें 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका परिषद और 544 नगर पंचायत शामिल हैं। पहले चरण के लिए जिलाधिकारियों द्वारा 11 अप्रैल और दूसरे चरण के लिए 17 अप्रैल को अधिसूचना जारी की जाएगी। पहले चरण के लिए नामांकन पत्र 11 से 17 अप्रैल के बीच खरीदे और जमा किए जा सकते हैं वहीं दूसरे चरण के लिए 17 अप्रैल से 24 अप्रैल के बीच नामांकन पत्र खरीदे और दाखिल किए जा सकेंगे।
दोनों चरणों के नामांकन पत्रों की जांच 18 अप्रैल और 25 अप्रैल को होगी। दोनों चरणों के नामांकन पत्रों की वापसी की अंतिम तिथि 20 अप्रैल और 27 अप्रैल को होगी। इसी तरह दोनों चरणों के लिए क्रमश: 21 अप्रैल और 28 अप्रैल को चुनाव चिन्हों की अनुमति दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि पहले चरण में सहारनपुर, मुरादाबाद, आगरा, झांसी, प्रयागराज, लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी और देवीपाटन समेत नौ मंडलों के 37 जिलों को कवर किया जाएगा वहीं दूसरे चरण में मेरठ, बरेली, अलीगढ़, कानपुर, चित्रकूट, अयोध्या, बस्ती, आजमगढ़ और मिर्जापुर सहित नौ मंडलों के 38 जिलों को शामिल किया जाएगा।
चुनाव अधिकारी ने कहा कि सभी शहरी स्थानीय निकायों में कुल 14,686 पदों के लिए चुनाव हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसमें नगर निगमों में महापौर के 17 पद और नगर पार्षद के 1,430 पद शामिल है। इसके अलावा नगर पालिका परिषदों में अध्यक्षों के 199 पद, और 5,327 सदस्य और नगर पंचायतों में अध्यक्ष के 544 पद और सदस्यों के 7,178 शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि नगर निगमों में मतदान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के माध्यम से होगा, जबकि अन्य स्थानीय निकायों में मतपत्रों का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा, “ 2017 की तुलना में मतदाताओं की संख्या में 96 लाख 33 हजार 832 की वृद्धि हुई है। 2017 की तुलना में मतदान केंद्रों की संख्या में भी 2,361 की वृद्धि हुई है। 2017 की तुलना में महापौर, अध्यक्ष, नगरसेवकों और सदस्यों के कुल पदों में भी 2,024 की वृद्धि हुई है। चुनाव कराने के लिए कुल दो लाख मतदान कर्मचारियों की आवश्यकता होगी।
डीएम और पुलिस प्रमुखों को संवेदनशील मतदान केंद्र और बूथ चिन्हित करने को कहा गया है। उन्होंने कहा, “ फिलहाल चुनाव राज्य पुलिस की मदद से होंगे, लेकिन जरूरत पड़ने पर केंद्रीय बलों को बुलाया जा सकता है। डीएम, पुलिस आयुक्तों, एसएसपी और एसपी को अपने क्षेत्रों में आपराधिक तत्वों की पहचान करने के लिए कहा गया है।
इससे पूर्व दिन में नगर विकास विभाग शासन ने विभिन्न प्रखंडों से प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण कर स्थानीय निकायों में महापौर एवं अध्यक्ष पद के आरक्षण की अंतिम अधिसूचना जारी कर दी। ज्ञातव्य हो कि 30 मार्च को अनंतिम अधिसूचना जारी कर छह अप्रैल तक आपत्तियां आमंत्रित की गई थीं।
गौरतलब है कि आरक्षण से जुड़ी आपत्तियों के निस्तारण के बाद आज चुनाव आयोग ने प्रेस कान्फ्रेंस बुलाकर तारीखों का ऐलान किया है। बता दें कि यूपी में निकाय चुनाव 2022 में ही होने थे लेकिन ओबीसी आरक्षण में खामियों के चलते चुनाव टल गए थे।