मुंबई। शेयर बाजार में दिग्गज कंपनियों में पैसा लगाने वाले निवेशकों के लिए साल 2025 पिछले साल की तुलना में बेहतर रहा और प्रमुख सूचकांकों ने नौ से दस प्रतिशत का रिटर्न दिया हालांकि छोटी कंपनियों में निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी-50 सूचकांक साल के दौरान 2,497.30 अंक यानी 10.56 प्रतिशत चढ़कर 24 दिसंबर को 26,142.10 अंक पर बंद हुआ। पिछले साल यह 8.8 प्रतिशत चढ़ा था। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स भी 7,269.69 अंक (9.30 प्रतिशत) चढ़ा और बुधवार को 85,408.70 अंक पर बंद हुआ। यह पिछले साल 8.17 प्रतिशत बढ़ा था।
निफ्टी का मिडकैप-50 सूचकांक 8.15 प्रतिशत और बीएसई का मिडकैप सूचकांक 0.78 प्रतिशत चढ़ा। पिछले साल दोनों सूचकांकों ने क्रमशः 21.52 फीसदी और 26.07 फीसदी का रिटर्न दिया था।
वहीं, छोटी कंपनियों के सूचकांकों में गिरावट रही। बीएसई का स्मॉलकैप 6.68 प्रतिशत गिरकर 51,493.62 अंक पर आ गया है। यह इस साल 3,686.98 अंक टूट चुका है। पिछले साल यह 29.31 प्रतिशत चढ़ा था। इसी तरह, निफ्टी स्मॉलकैप-100 सूचकांक 5.65 प्रतिशत (1,060.60 अंक) टूट गया और 24 दिसंबर को 17,708.60 अंक पर बंद हुआ। पिछले साल इसने भी 23.94 प्रतिशत का बंपर रिटर्न दिया था।
एनएसई ने गुरुवार को बताया कि साल के दौरान उसका बाजार पूंजीकरण 469 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है जो करीब 6.8 प्रतिशत की वृद्धि है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में बाजार पूंजीकरण 136 प्रतिशत रहा।
साल के दौरान पूंजी निर्माण 19.17 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। इक्विटी, डेट और बिज़नेस ट्रस्ट के जरिये कुल 19.17 लाख करोड़ रुपये का फंड जुटाया गया, जो वर्ष 2023-24 के 17.89 लाख करोड़ रुपये से करीब सात फीसदी ज्यादा रहा।
इक्विटी से कुल 4.12 लाख करोड़ रुपये जुटाये गये जबकि डेट के जरिये 14.72 लाख करोड़ रुपये आये। डेट निर्माण में करीब 10 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई।
एनएसई में साल 2025 में 101 मेनबोर्ड प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये 1.71 लाख करोड़ रुपये जुटाये गये। वहीं, 112 छोटी और मझौली कंपनियों के आईपीओ से 5,589 करोड़ रुपये का फंड आया। इक्विटी डेरिवेटिव कारोबार में एनएसई दुनिया में नंबर एक पर रहा। दुनिया भर में होने वाले कुल लेनदेन में इसकी हिस्सेदारी 53.2 फीसदी रही। नयी कंपनियों को सूचीबद्ध करने के मामले में इसने दुनिया में दूसरा स्थान हासिल किया और इसकी वैश्विक हिस्सेदारी 16.2 फीसदी रही।
निवेशकों की भागीदारी और घरेलू संपत्ति में बढ़त देखी गयी। पंजीकृत निवेशकों की कुल संख्या 1.5 करोड़ बढ़कर 12.4 करोड़ पहुंच गयी। इसमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु से सबसे ज्यादा भागीदारी देखने को मिली। अप्रैल 2020 से अब तक भारतीय शेयर बाजार में घरेलू संपत्ति में करीब 53 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है।
इस साल एनएसई आईएक्स ने पहली बार एक लाख करोड़ डॉलर के टर्नओवर का आंकड़ा पार किया और यह 1,106 अरब डॉलर तक पहुंच गया।