"जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा": मौलाना मदनी के बयान से देश की सियासत में उबाल
नई दिल्ली- जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने एक बार फिर अपने विवादित बयान से देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। मदनी ने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाने के बाद अब एक और अत्यंत संवेदनशील टिप्पणी की है, जिसने राजनीतिक गलियारों में तीखी प्रतिक्रियाओं को जन्म दे दिया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि "जब-जब मुसलमानों पर जुल्म होगा, तब-तब देश में जिहाद होगा।"
मदनी के बयान पर सियासी प्रतिक्रियाएं
मौलाना मदनी के इस बयान ने राजनीतिक दलों को दो खेमों में बांट दिया है।
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एनडीए का हमला: एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) के नेता इस बयान को देश की शांति और सद्भाव के लिए खतरा बताते हुए मौलाना मदनी पर तीखा हमला बोल रहे हैं और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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विपक्ष की दूरी: हैरानी की बात यह है कि विपक्षी दल भी मौलाना मदनी के इस बयान से किनारा करते दिख रहे हैं। विपक्ष का कोई भी बड़ा नेता सार्वजनिक रूप से उनके बयान का समर्थन नहीं कर रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे इस संवेदनशील मामले पर किसी भी तरह के विवाद से बचना चाहते हैं।
मौलाना महमूद मदनी की तरफ से यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब देश के विभिन्न हिस्सों में पहले ही सांप्रदायिक सद्भाव को लेकर बहस छिड़ी हुई है। उनकी इस टिप्पणी को कई राजनीतिक विश्लेषक देश में धार्मिक भावनाएं भड़काने वाला और कानून व्यवस्था के लिए चुनौती पैदा करने वाला मान रहे हैं।
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