नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि किसी पद के लिए विज्ञापन जारी होने के बाद भर्ती प्रक्रिया को बीच में नहीं बदला जा सकता।
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मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की संविधान पीठ ने ‘तेज प्रकाश पाठक बनाम राजस्थान उच्च न्यायालय’ मामले में यह फैसला सुनाते हुए कहा कि उम्मीदवारों को आश्चर्य चकित करने के लिए नियमों को नहीं बदला जा सकता।
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न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया के शुरू में अधिसूचित चयन सूची में रखे जाने के लिए पात्रता मानदंड को बीच में नहीं बदला जा सकता, जब तक कि मौजूदा नियम या विज्ञापन (जो मौजूदा नियमों के विपरीत न हो) इसकी अनुमति न दे।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि चयन सूची में रखे जाने के बाद उक्त पद के उम्मीदवार को नियुक्ति का अविभाज्य अधिकार प्राप्त नहीं होता, लेकिन सरकार या उसके तंत्र वास्तविक कारणों से रिक्तियों को नही भरने का विकल्प चुन सकते हैं।
हालांकि, यदि रिक्तियां मौजूद हैं, तो सरकार या उसके तंत्र चयन सूची में विचाराधीन क्षेत्र के किसी व्यक्ति को नियुक्ति देने से मनमाने ढंग से इनकार नहीं कर सकते।
इस मामले को ‘तेज प्रकाश पाठक और अन्य बनाम राजस्थान उच्च न्यायालय और अन्य’ (2013) के मामले में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजा गया था, जिसने कि ‘मंजूश्री बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य (2008)’ के मामले में पिछले फैसले पर संदेह जताया था। इस मामले कहा गया था कि चयन मानदंड को बीच में नहीं बदला जा सकता है।
संविधान पीठ ने जुलाई में सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।