नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यह जानकारी सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद मीडिया को दी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट के फैसले पर पहली प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि देश में राजनीतिक स्थिरता, सतत विकास और समृद्ध लोकतंत्र की सुनिश्चितता में यह निर्णय ‘मील का पत्थर’ साबित होगा। सीएम योगी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”एक समृद्ध लोकतंत्र के लिए राजनीतिक स्थिरता अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व में आज केंद्रीय कैबिनेट द्वारा ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ प्रस्ताव को दी गई मंजूरी अभिनंदनीय है। देश में राजनीतिक स्थिरता, सतत विकास और समृद्ध लोकतंत्र की सुनिश्चितता में यह निर्णय ‘मील का पत्थर’ सिद्ध होगा। इस युगांतरकारी निर्णय के लिए उत्तर प्रदेश की जनता की ओर से प्रधानमंत्री का हृदय से आभार।”
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी केंद्रीय कैबिनेट के ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ प्रस्ताव को मंजूरी देने पर रिएक्शन दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”बहुप्रतीक्षित एवं ऐतिहासिक कदम! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारतीय लोकतंत्र को और अधिक सशक्त और प्रभावी बनाने की दिशा में ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत किया जाना स्वागतयोग्य निर्णय है। ‘एक देश, एक चुनाव’ से चुनावों के दौरान खर्च होने वाले सरकारी धन व समय की बचत होगी एवं इसका उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे जैसे विकास कार्यों में अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा।” वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी मोदी कैबिनेट के इस फैसले का समर्थन किया।
मायावती ने एक्स पोस्ट में लिखा, ”एक देश, एक चुनाव, की व्यवस्था के तहत देश में लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट द्वारा आज दी गई मंजूरी पर हमारी पार्टी का स्टैंड सकारात्मक है, लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना जरूरी है।” बता दें कि कोविंद समिति का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था। समिति ने करीब 190 दिनों तक राजनीतिक दलों तथा विभिन्न हितधारकों के साथ मंथन करने के बाद 18,626 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की थी। आठ सदस्यीय समिति ने आम लोगों से भी राय आमंत्रित की थी। आम लोगों की तरफ से 21,558 सुझाव मिले। इसके अलावा 47 राजनीतिक दलों ने भी अपने राय और सुझाव दिए, जिनमें 32 ने इसका समर्थन किया था। कुल 80 प्रतिशत सुझाव ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के पक्ष में आए थे।
समिति ने देश के प्रमुख उद्योग संगठनों और अर्थशास्त्रियों के भी सुझाव लिए थे। ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के बारे में चर्चा सबसे पहले 1999 में शुरू हुई, जब विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव हर पांच साल पर एक साथ कराने का सुझाव दिया। इसके बाद कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय पर संसदीय की स्थायी समिति ने 2015 में अपनी 79वीं रिपोर्ट में दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी।
कोविंद समिति ने भी दो चरणों में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव कराने का सुझाव दिया है। समिति ने कहा है कि पहले चरण में लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव एक साथ कराए जाने का प्रस्ताव है, जबकि दूसरे चरण में उसके 100 दिन के भीतर स्थानीय निकायों के चुनाव कराने का प्रस्ताव है। समिति ने कहा है कि सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची हो।