Monday, July 1, 2024

दिल्ली हाईकोर्ट ने चैनल से पूछा, अकेले श्रद्धा वाकर हत्याकांड को प्रसारित किया, दूसरों को क्यों नहीं

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को न्यूज चैनल आजतक/टीवी टुडे नेटवर्क से पूछा कि वह अकेले श्रद्धा वाकर हत्या मामले से संबंधित नार्को-एनालिसिस टेस्ट और चार्जशीट जैसी सामग्री को क्यों प्रसारित करना चाहता है। आफताब अमीन पूनावाला पर अपने लिव-इन पार्टनर वाकर का गला घोंटने और उसके शरीर को निपटाने के लिए कई टुकड़ों में काटने का आरोप है।

दिल्ली की साकेत अदालत ने इस महीने की शुरुआत में पूनावाला के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 201 (साक्ष्य मिटाना) के तहत आरोप तय किए थे।

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

अदालत टीवी टुडे के उस आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 19 अप्रैल के पहले के एक आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें अदालत ने कई मीडिया चैनलों को पूनावाला के मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन, वॉयस लेयर्ड टेस्ट, नार्को-एनालिसिस और चार्जशीट सामग्री को प्रसारित करने से रोक दिया था।

बुधवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस रजनीश भटनागर ने सवाल किया, “इससे कहीं ज्यादा जघन्य मामले हैं..पूरे भारत में रोजाना 20 हत्याएं हो रही हैं। इस मामले में ऐसा क्या खास है? क्या टीवी चैनलों पर निर्भया कांड चलाया गया? आप इस विशेष मामले को क्यों चुन रहे हैं?”

गैंगस्टर अतीक अहमद की हत्या की हालिया घटना के बारे में पीठ ने सवाल उठाया कि क्या वह इसे श्रद्धा वाकर की तरह ही प्रसारित करेगी।

न्यायाधीश ने कहा, “क्या आप अतीक अहमद की हत्या को भी प्रदर्शित करेंगे? उसका भी जवाब ले के आइएगा।” उन्होंने मामले को 3 अगस्त को अगली सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।

पीठ ने टीवी टुडे के वकील से यह भी पूछा कि क्या मुकदमे के लंबित रहने के दौरान जांच से संबंधित वीडियो टीवी पर चलाए जा सकते हैं?

अदालत ने कहा, “आप एक मामले में चार्जशीट नहीं ले सकते और उन्हें दीवारों पर नहीं चिपका सकते। इन सार्वजनिक दस्तावेजों (आपराधिक मुकदमे में) को टीवी पर कितना प्रदर्शित किया जा सकता है, इसके बारे में कुछ रेखा खींचनी होगी।”

इंडिया टुडे के वकील ने जब तर्क दिया कि निषेधाज्ञा आदेश प्रभावी रूप से उनके मौलिक अधिकार का हनन करता है, तब अदालत ने कहा : “अदालतों में विचाराधीन मामले को टीवी पर प्रदर्शित करना क्या आपका मौलिक अधिकार है? अदालतों के समक्ष लंबित कितने आपराधिक मामले टीवी पर प्रदर्शित किए जा रहे हैं?”

वकील ने कहा कि वे जो सामग्री प्रकाशित करना चाहते थे, वे सार्वजनिक दस्तावेज हैं और अदालत से एकमात्र अनुरोध है कि सुनवाई की तारीख जल्द तय की जाए।

वकील ने कहा कि वह अदालत के सभी सवालों का जवाब देंगे और इस मामले ने जनता की नजर में एक विशेष स्थिति हासिल कर ली है।

न्यायमूर्ति भटनागर ने हालांकि कहा कि ऐसी सामग्री हर मामले में होती है, लेकिन उन्हें टीवी पर नहीं दिखाया जाता।

पीठ ने कहा किआवेदन पर कोई शुरुआती तारीख नहीं दी जाएगी और मुख्य मामले में पहले से तय तारीख जो तीन अगस्त है, उस पर सुनवाई होगी।

इंडिया टुडे की अर्जी पर कोर्ट ने नोटिस भी जारी किया है।

Related Articles

STAY CONNECTED

74,098FansLike
5,351FollowersFollow
64,950SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय