अलका लांबा पर आरोप तय करने का आदेश, पांच जनवरी को अगली सुनवाई
नई दिल्ली। दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 2024 में महिला आरक्षण के मुद्दे पर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान निषेधाज्ञा उल्लंघन के मामले में कांग्रेस नेता अलका लांबा के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है। एडिशनल चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट अश्विनी पंवार ने मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी को करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि अलका लांबा को वीडियो में देखा गया कि वो बलपूर्वक लोकसेवक को उसके काम में बाधा पहुंचा रही थीं। वे बैरिकेड पार कर प्रदर्शनकारियों को उकसा रही थीं। कोर्ट ने अलका लांबा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 132, 221 और 223ए के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने 15 अक्टूबर को अलका लांबा के वकील को चार्जशीट की प्रति पेन ड्राईव में उपलब्ध कराने का देश दिया था। कोर्ट ने 20 अगस्त को दिल्ली पुलिस की चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए अलका लांबा को समन जारी किया था। कोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 221, 223(ए), 132 और 285 के तहत संज्ञान लिया था। मामला 29 जुलाई 2024 को जंतर-मंतर पर महिला कांग्रेस का महिला आरक्षण को लेकर प्रदर्शन था। उस प्रदर्शन में मुख्य वक्ता अलका लांबा थीं। दिल्ली पुलिस ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा का आदेश जारी किया था।
अलका लांबा पर आरोप है कि उन्होंने निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए करीब डेढ़ बजे दूसरे प्रदर्शनकारियों के साथ टालस्टाय मार्ग पर लगे बैरिकेड पर पहुंचीं और नारेबाजी करने लगीं। वे संसद का घेराव करने पर आमदा थे। मौके पर मौजूद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने लाउडस्पीकर से निषेधाज्ञा के बारे में प्रदर्शनकारियों को जानकारी दी और प्रदर्शन खत्म करने की चेतावनी दी।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक अलका लांबा और उनके समर्थकों ने महिला और पुरुष पुलिसकर्मियों को धक्का देकर बैरिकेड को पार किया और कुछ प्रदर्शनकारियों ने संसद मार्ग रोड को जाम कर दिया। पुलिस के काफी समझाने के बाद भी अलका लांबा और दूसरे समर्थक वहां से नहीं हटे जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर दिया। उसके बाद सब-इंस्पेक्टर अनीता सिंह के बयान पर अलका लांबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया।
