मुरादाबाद। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग एक बार फिर मुखर हो गई है। शनिवार को दि बार एसोसिएशन एंड लाइब्रेरी मुरादाबाद के बार सभागार में 22 जिलों के अधिवक्ताओं की बैठक हुई। अधिवक्ताओं ने एलान किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में बेंच नहीं तो वोट नहीं का नारा बुलंद किया जाएगा। माह जनवरी 2024 में जंतर मंतर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लाखों अधिवक्ता सड़कों पर उतरकर जंतर मंतर तक पैदल मार्च करेंगे इसके लिए 16 दिसंबर को पश्चिमी उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट बेंच स्थापना केन्द्रीय संघर्ष समिति की बैठक बिजनौर जनपद में संपन्न होगी।
शनिवार शाम को बैठक समाप्त होने के बाद आयोजित प्रेस वार्ता में पश्चिमी उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट बेंच स्थापना केन्द्रीय संघर्ष समिति के अध्यक्ष कुंवर पाल शर्मा ने कहा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के 22 ज़िलों में कहीं भी बेंच स्थापित कर दें, हम सबको स्वीकार है। उन्होंने कहा पिछले 45 वर्ष से लगातार संघर्ष चला आ रहा है। यह कोई चुनावी आंदोलन नहीं है। अध्यक्ष ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना के संबंध में जसवंत आयोग का गठन हुआ था। इसमें आगरा में बेंच की स्थापना की सिफारिश की गई थी, उस दौरान विपक्ष में रहे अटल विहारी बाजपेयी ने भी बेंच स्थापना का समर्थन किया था।
उन्होंने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से शिमला, चंडीगढ़, ग्वालियर, नैनीताल और जयपुर के हाईकोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट से काफी नजदीक है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को चाहिए कि वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना के लिए मंजूरी दे।
दि बार एसोसिएशन एंड लाइब्रेरी मुरादाबाद के अध्यक्ष अशोक सक्सेना महासचिव अभय कुमार सिंह ने कहा 45 साल से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की मांग के लिए वकील संघर्ष करते आ रहे हैं। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने वकीलों की मांग पर सुनवाई नहीं की। केंद्र सरकार का कहना है कि हर व्यक्ति को घर के दरवाजे पर न्याय मिले, लेकिन केंद्र सरकार अपने वादे पर भी अमल नहीं कर रही है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट बेंच स्थापना केन्द्रीय संघर्ष समिति की बैठक में मुरादाबाद के अलावा बिजनौर, मेरठ, बागपत, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, हापुड़ सहित 22 जिले के अधिवक्ताओं के अलावा दि बार एसोसिएशन एंड लाइब्रेरी मुरादाबाद की कार्यकारिणी उपस्थित रही।