ईडी के नाम पर डिजिटल अरेस्ट कर 30 लाख की ठगी, झारखंड सीआईडी ने राजस्थान से साइबर ठग को दबोचा
रांची। झारखंड सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के खिलाफ बड़ी सफलता मिली है। सीआईडी की टीम ने राजस्थान में छापेमारी कर एक साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया है, जिसने ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) का भय दिखाकर रांची के एक व्यक्ति से 30 लाख रुपये की ठगी की थी। गिरफ्तार आरोपी की पहचान राजस्थान के जयपुर निवासी योगेश सिंह सिसोदिया के रूप में हुई है।
सीआईडी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120बी तथा आईटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। आरोपी डिजिटल अरेस्ट जैसे नए साइबर फ्रॉड तरीकों का इस्तेमाल कर लोगों को डराने-धमकाने का काम करता था।
सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच के अनुसार यह पूरा मामला रांची के एक पीड़ित से जुड़ा है। साइबर अपराधियों ने खुद को ईडी का अधिकारी बताते हुए पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट में लेने की धमकी दी। उसे बताया गया कि उसके खिलाफ गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की जांच चल रही है और गिरफ्तारी से बचने के लिए तुरंत पैसे ट्रांसफर करने होंगे। भय और दबाव में आकर पीड़ित ने पंजाब नेशनल बैंक के एक खाते में 30 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
पीड़ित ने इस ठगी के संबंध में अप्रैल 2024 में झारखंड सीआईडी के साइबर क्राइम थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जांच के दौरान सीआईडी ने डिजिटल फुटप्रिंट खंगाले, जिससे यह पता चला कि ठगी की रकम जिस बैंक खाते में गई थी, वह योगेश सिंह सिसोदिया के नाम पर था। इसके बाद जयपुर पुलिस के सहयोग से सीआईडी की टीम ने राजस्थान में छापेमारी कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
सीआईडी के अनुसार, गिरफ्तार आरोपी डिजिटल अरेस्ट से जुड़े साइबर क्राइम नेटवर्क का सक्रिय सदस्य रहा है और वह ऐसे कई अन्य धोखाधड़ी मामलों में भी शामिल पाया गया है। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल से प्राप्त जानकारी के अनुसार, योगेश सिंह सिसोदिया के खिलाफ डिजिटल अरेस्ट से संबंधित कम से कम 10 शिकायतें दर्ज हैं।
सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच ने बताया कि मामले की जांच आगे भी जारी है। ठगी की रकम के लेन-देन, म्यूल बैंक खातों, हैंडलर्स और इस नेटवर्क से जुड़े अन्य साइबर अपराधियों की पहचान की जा रही है। सीआईडी ने लोगों से अपील की है कि किसी भी सरकारी एजेंसी के नाम पर आने वाले कॉल या डिजिटल अरेस्ट की धमकी से सावधान रहें और तुरंत पुलिस या साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराएं।
