ज्ञानी और अज्ञानी: भोजन और वस्त्र धारण में उद्देश्य
जीवन में भोजन और वस्त्र धारण करना सभी के लिए आवश्यक है, चाहे वह ज्ञानी हो या अज्ञानी। सभी मनुष्य भूख लगने पर भोजन करते हैं और शरीर को ढकने के लिए वस्त्र पहनते हैं।
इसी प्रकार वस्त्र धारण करने में भी अंतर होता है। ज्ञानी केवल शरीर की सुरक्षा और लोक मर्यादा के लिए वस्त्र पहनता है, जबकि अज्ञानी इसमें श्रृंगार और फैशन जैसी अतिरिक्त इच्छाओं को शामिल कर देता है। इस प्रकार अज्ञानी भोजन और वस्त्र के माध्यम से अपने धन और समय का अपव्यय करता है।
धन और समय की बर्बादी केवल व्यक्तिगत नहीं होती, बल्कि यह दूसरों के अधिकारों का भी हनन करती है। अपव्यय किया गया धन किसी की आवश्यकता पूरी कर सकता था और समय को रचनात्मक कार्य में लगाया जा सकता था, जिससे समाज का हित साधा जा सकता था।
ज्ञानी का आचरण शास्त्रानुकूल होता है, जबकि अज्ञानी के कार्य अनाधिकार प्रयास और अनावश्यक हानिकारक होते हैं। अंतिम निर्णय हर व्यक्ति को स्वयं करना होता है कि वह अपने जीवन में किस प्रकार का मार्ग अपनाएगा।
