अभिनेत्री सेलिना जेटली के भाई की यूएई की जेल में: दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा आदेश.. दूतावास को वकीलों की सूची देने का निर्देश
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने संयुक्त अरब अमीरात स्थित भारतीय दूतावास को निर्देश दिया है कि वो अभिनेत्री सेलिना जेटली को संयुक्त अरब अमीरात में कैद में रखे गए उनके भाई सेवानिवृत मेजर विक्रांत कुमार जेटली को वहां के मान्यता प्राप्त स्थानीय वकीलों की सूची उपलब्ध कराएं। जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने कहा कि मेजर जेटली वकीलों की सूची से अपनी कानूनी मदद के लिए वकील अपने खर्च पर रख सकते हैं। मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी।
कोर्ट ने कहा कि अगर कोई वकील या लॉ फर्म मेजर जेटली से प्रोफेशनल फीस नहीं लेना चाहे, तो इसकी सूचना मेजर जेटली को दी जाए। मंगलवार काे सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि पहले के आदेश के मुताबिक मेजर जेटली को राजनयिक मदद दी जा रही है। इसके पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया था कि वो अभिनेत्री सेलिना जेटली को उनके भाई सेवानिवृत्त मेजर विक्रांत कुमार जेटली से संपर्क करने में मदद करे। केंद्र सरकार ने कहा था कि मेजर जेटली ने अपनी बहन से संपर्क करने का विकल्प चुना है। केंद्र सरकार ने मेजर जेटली से कहा था कि वे चाहें तो अपनी पत्नी और बहन का नंबर दे सकते हैं ताकि बात हो सके, लेकिन मेजर जेटली ने अपनी बहन का नंबर दिया।
सेलिना जेटली ने याचिका दायर कर कहा है कि उनके सेना से रिटायर्ड भाई मेजर विक्रांत कुमार जेटली का संयुक्त अरब अमीरात में अपहरण कर लिया गया और वो करीब एक साल से कैद में हैं। याचिका में मांग की गई है कि मेजर विक्रांत कुमार जेटली को विदेश मंत्रालय की ओर से कानूनी सहायता, चिकित्सा सुविधा और राजनयिक सहायता उपलब्ध करायी जाए।
याचिका में कहा गया है कि मेजर विक्रांत ने भारतीय सेना और लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन को अपनी सेवाएं दी हैं। वे संयुक्त अरब अमीरात में एक कंसल्टेंसी फर्म को अपनी सेवाएं दे रहे थे। वहां उनका एक मॉल से तब अपहरण कर लिया गया जब उनकी पत्नी उनके साथ थीं। उनके अपहरण की सूचना मिलने के बाद सेलिना जेटली ने केंद्र सरकार के मदद पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज करायी। शिकायत दर्ज कराने के बावजूद उन्हें अपने भाई के बारे में कोई अपडेट नहीं मिली। सेलिना जेटली ने संयुक्त अरब अमीरात स्थित भारतीय दूतावास से भी संपर्क किया था लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। उसके बाद उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
