मुजफ्फरनगर। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एकमात्र तीर्थ शुकतीर्थ लोगों की आस्था विश्वास भावनाओं का प्रतीक है। यहाँ सभी धर्म जाति के श्रद्धालु गंगा स्नान पर डुबकी लगा अपने पापों का नाश करते हैं। शुकतीर्थ में बहने वाली बाणगंगा निरंतर दूषित होती जा रही है। केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना नमामि गंगे पूरी तरह फेल नज़र आ रही है , उस पर खर्च हुए हज़ारों करोड़ भी पानी में चले गए लग रहे है।
बाणगंगा का जल इतना दूषित है कि उसने मछलियां व जीव जंतु मर रहे हैं। श्रद्धालुओं ने यहाँ स्नान करना तक बंद कर दिया है। बावजूद इसके अभी तक प्रदूषण विभाग को बाणगंगा में प्रदूषित हो रहे जल के स्रोत का पता नहीं लग पाया। मुजफ्फरनगर के क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी अंकित सिंह की माने तो शुकतीर्थ से होकर बह रही बाणगंगा का क्षेत्र उत्तराखण्ड में बह रहा है।
जनपद मुजफ्फरनगर क्षेत्र में कहीं पर भी कोई इंडस्ट्रीज एरिया बाणगंगा व सोलानी नदी के पास नहीं है। उत्तराखंड के लक्सर में इंडस्ट्रीज एरिया है। गंगा यहीं से होकर गुजरती है। हमने वहां जाकर सैंपल लिए है। शुकतीर्थ में भी बाणगंगा के सैंपल लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि गत सोमवार को भी प्रदूषण विभाग की टीम द्वारा बाणगंगा का निरीक्षण किया गया एवं सैंपल लिए गए। लेकिन अभी तक प्रदूषण विभाग के हाथ खाली ही है। दूषित जल का स्रोत कहाँ पर है इसके बारे में अभी कुछ कहा नहीं गया।
हालांकि पिछले तीन-चार दिनों से बाणगंगा में दूषित पानी निरंतर बह रहा है। विभाग के अधिकारियों की मानें तो हर बार की तरह इस बार भी बाणगंगा में उत्तराखंड की तरफ से ही प्रदूषित जा आ रहा है। गत दो साल पहले भी तत्कालीन डीएम सेल्वा कुमारी जे के समय में गंगा का जल दूषित हो गया था, जिसके चलते मछलियां व अन्य जीव जंतु मर कर बाहर आ गए थे। हालांकि केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना कहीं दिखाई नहीं दे रही। लगातार गंगा एवं अन्य नदियों का पानी दूषित होता जा रहा है और इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। नमामि गंगे योजना में खर्च हुए हज़ारों करोड़ रुपये भी पानी में चले गए लग रहे है।