मीरापुर। मीरापुर विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव के दौरान प्रशासन की सख्ती के कारण बड़ी संख्या में ग्रामीण मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सके। कस्बे और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस प्रशासन की सख्त कार्रवाई और द्विपक्षीय रवैये के चलते मतदाताओं में गहरा आक्रोश देखने को मिला।
सुबह से ही मतदाताओं में भारी उत्साह था, लेकिन मतदान केंद्रों पर पहुंचने के बाद उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। ग्रामीण क्षेत्रों जैसे सिकंदरपुर, तुलहेड़ी, कैथोड़ा, मुझेड़ा सादात, संभलहेड़ा और चुडिय़ाला के मुस्लिम बहुल इलाकों के बूथों पर मतदाताओं को बिना किसी स्पष्ट कारण के रोका गया।
कुछ बूथों पर प्रशासन ने मतदाताओं को 100 मीटर की दूरी पर रोक दिया और उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी। शिकायत करने पर उच्च अधिकारियों ने कुछ देर के लिए मतदाताओं को बूथ पर जाने की इजाजत दी, लेकिन जल्द ही फिर से बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया गया।
मतदाताओं ने आरोप लगाया कि मतदान के लिए पहचान पत्र को लेकर प्रशासन ने अनावश्यक सख्ती की। कहीं आधार कार्ड तो कहीं पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, या अन्य दस्तावेज मांगे गए। सही पहचान पत्र दिखाने के बावजूद मतदाताओं को वोट डालने से रोका गया।
प्रशासन की इस सख्ती के कारण कई बूथ खाली पड़े रहे, जिससे मतदान प्रतिशत पर भी असर पड़ा। स्थानीय लोगों ने इसे प्रशासन की नाकामी और पक्षपातपूर्ण रवैये का उदाहरण बताया। ग्रामीण मतदाताओं ने आरोप लगाया कि यह सख्ती जानबूझकर की गई, ताकि एक विशेष वर्ग के लोगों को मतदान से वंचित रखा जा सके।
इस घटना को लेकर लोगों ने चुनाव आयोग से हस्तक्षेप करने और न्याय दिलाने की मांग की है। इस घटनाक्रम ने क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल पैदा कर दिया है, जिससे प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।