मीनू मुमताज: 13 साल की उम्र में उठाया परिवार का बोझ, एक फिल्म ने बदल दी किस्मत



उन्होंने 'घर घर में दिवाली' नाम की फिल्म की, जिसमें वो डांसर के तौर पर दिखीं, लेकिन ये फिल्म ज्यादा नहीं चली, जिसके बाद उन्हें 1956 में आई फिल्म 'सखी हातिम' में देखा गया, जिसमें भी उन्होंने बतौर डांसर काम किया, लेकिन फिल्म से उन्हें पहचान मिली और फिर बतौर लीड एक्ट्रेस 'ब्लैक कैट' में बलराज साहनी के साथ कास्ट किया। मीनू के लिए 'ब्लैक कैट' फिल्म लकी रही, और फिर उन्हें 1957 में आई 'दो रोटी', 'सी.आई.डी.', 'नया दौर', और 'हलाकू' में देखा गया। फिल्में पर्दे पर हिट रहीं, लेकिन कुछ ही फिल्मों में उन्हें बतौर लीड एक्ट्रेस काम करने का मौका मिला। मीनू मुमताज़ की जिंदगी में सब कुछ चल रहा था, लेकिन एक फिल्म ने एक्ट्रेस की जिंदगी में भूचाल ला दिया। 1958 में आई फिल्म 'हावड़ा ब्रिज' ने उनकी जिंदगी को विरोध से भर दिया।
इस फिल्म के एक गाने में उन्होंने अपने ही सगे भाई महमूद के साथ रोमांस किया। उस वक्त फिल्म को बैन तक करने की मांग की गई, क्योंकि लोगों का कहना था कि भाई-बहन के रिश्ते को खराब किया जा रहा है। महमूद और मीनू दोनों को ही आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। फिल्मों से ब्रेक लेकर मीनू ने डायरेक्टर एस. अली अकबर से शादी की और देश छोड़कर विदेश में बस गई, लेकिन अचानक उन्हें पता चला कि उनके ब्रेन में ट्यूमर है। बीमारी का इलाज किया गया था, लेकिन अचानक एक्ट्रेस का कनाडा में निधन हो गया।