नौसेना ने अपने दम-खम से पाकिस्तानी युद्धपोतों को उसके तटीय क्षेत्रों से आगे नहीं बढने दिया : राजनाथ



सिंह ने कहा, " आईओआर समकालीन भू-राजनीति का केंद्र बन गया है। यह अब निष्क्रिय नहीं रहा, यह प्रतिस्पर्धा और सहयोग का क्षेत्र बन गया है। " भारतीय नौसेना ने अपनी बहुआयामी क्षमताओं से इस क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका निभाई है। पिछले छह महीनों में भारतीय युद्धपोतों , पनडुब्बियों और नौसेना के विमानों को अभूतपूर्व पैमाने पर तैनात किया गया है। इसके अलावा, हमारी नौसेना ने लगभग 335 व्यापारी जहाजों को सुरक्षित मार्ग प्रदान किया है, जो लगभग 12 लाख टन माल और 5.6 अरब डॉलर के व्यापार मूल्य के बराबर है। यह इस बात का प्रमाण है कि भारत अब वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में एक विश्वसनीय और सक्षम भागीदार बन गया है।
आत्मनिर्भर नौसेना को आत्मविश्वासी और शक्तिशाली राष्ट्र की नींव बताते हुए रक्षा मंत्री ने स्वदेशी उपकरणों के माध्यम से अपनी क्षमताओं को बढ़ाने और आत्मनिर्भर भारत के ध्वजवाहक के रूप में उभरने के लिए भारतीय नौसेना की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, " पिछले 10 वर्षों में, नौसेना के लगभग 67 प्रतिशत पूंजी अधिग्रहण अनुबंध भारतीय उद्योगों के साथ हुए हैं। यह साबित करता है कि अब हम केवल आयात पर निर्भर नहीं हैं। हम अपनी प्रतिभा और एमएसएमई व स्टार्ट-अप की क्षमताओं पर भरोसा करते हैं। भारतीय नौसेना आईडेक्स ,टीडीएफ , स्प्रिंट और मेक-इन-इंडिया के तहत 194 नवाचार और स्वदेशीकरण परियोजनाओं पर काम कर रही है। इन पहलों ने न केवल नौसेना को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि निजी उद्योगों और युवा नवप्रवर्तकों को भी इस मिशन का हिस्सा बनाया है।"
आधुनिक युद्धों को प्रौद्योगिकी और खुफिया जानकारी पर आधारित बताते हुए रक्षा मंत्री ने सरकार रक्षा, स्वदेशी नवाचार और अत्याधुनिक तकनीकों में आत्मनिर्भरता पर अधिक ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा, " समुद्री तैयारी अब केवल जहाजों या पनडुब्बियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रौद्योगिकी -संचालित, नेटवर्क-केंद्रित और स्वायत्त प्रणालियों पर आधारित है। हमें इन क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को बढ़ाते हुए, अपने विरोधियों की आधुनिक तकनीकों से खुद को सुरक्षित रखने की आवश्यकता है। हमारे पास क्षमता और योग्यताएं हैं। हम अपने उपकरण अपनी धरती पर ही बना रहे हैं।"