बेंगलुरु। इसरो के पूर्व अध्यक्ष और पद्मश्री से सम्मानित के. कस्तूरीरंगन (84 साल) का अंतिम संस्कार रविवार को बेंगलुरु में राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार कस्तूरीरंगन को अंतिम श्रद्धांजलि देंगे। सुबह 10 बजे से लोग बेंगलुरु के रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट में कस्तूरीरंगन में उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए एकत्रित हो रहे हैं।
कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरु में अपने घर पर निधन हो गया। इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) के सचिव वी. नारायणन ने भी कस्तूरीरंगन को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, “हम बहुत दुखी हैं। हमारे प्रिय नेता और देश के महान वैज्ञानिकों में से एक, के. कस्तूरीरंगन अब हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव मजबूत की। मेरा उनके साथ जुड़ाव बहुत पुराना है। पहली बार मैं 1988 में उनसे मिला था, जब मैं एक कार्यक्रम के लिए आईआईटी खड़गपुर गया था।” उन्होंने कहा, “उस समय आईआरएस-1ए सैटेलाइट ने कक्षा में अपने 100 दिन पूरे कर लिए थे। दूरदर्शन पर ‘आई ऑन द स्काई’ नाम का एक कार्यक्रम आता था, जिसमें कस्तूरीरंगन सर का 40 मिनट का इंटरव्यू दिखाया गया। मैं तब आईआईटी खड़गपुर में था। इसरो को आगे बढ़ाने को लेकर उनकी बातें बहुत प्रेरणादायक थीं।
भले ही मैं इसरो से दूर था, लेकिन मुझे ऐसा लगा जैसे मैं भी इसका हिस्सा हूं और मैंने भी इसमें कुछ योगदान दिया है।” उन्होंने आगे कहा, “हम क्रायोजेनिक तकनीक को हासिल करने के लिए उस समय के इसरो अध्यक्ष यू.आर. राव के साथ मास्को गए थे। कस्तूरीरंगन सर भी हमारे साथ थे। मुझे तीन दिन उनके साथ रहने का मौका मिला, क्योंकि हम एक साथ यात्रा कर रहे थे। उस समय मैं सिर्फ एक एसडी इंजीनियर था, लेकिन उन्होंने जिस तरह से हर चीज की समीक्षा की और सवाल पूछे, उसने मुझे बहुत प्रभावित किया। उन तीन दिनों के बाद मुझे यकीन हो गया था कि वो एक दिन इसरो के अध्यक्ष जरूर बनेंगे।” नारायणन ने कहा, “आज हमारे पास एक बेहतरीन उपग्रह केंद्र है, जो कस्तूरीरंगन के शानदार योगदान की वजह से है। अपने 10 साल के कार्यकाल में उन्होंने जो भी काम किया, वह सफल रहा – एक के बाद एक कामयाबी मिली।”