Sunday, December 22, 2024

अंतरराष्ट्रीय समुद्री अपराधों पर लगाम लगाएंगे भारत और फिलीपींस

नई दिल्ली। भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) और फिलीपींस के तटरक्षक बल (पीसीजी) के बीच सोमवार को नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक हुई। दोनों देशों के तटरक्षक बलों ने बातचीत के दौरान समुद्री कानून प्रवर्तन में सहयोग पर चर्चा की। इसमें तस्करी, मानव तस्करी और अवैध रूप से मछली पकड़ने व अंतरराष्ट्रीय समुद्री अपराधों से निपटने पर जोर दिया गया। समुद्री खोज एवं बचाव (एसएआर) जैसे महत्वपूर्ण तथ्यों पर चर्चा की गई।

इसके अलावा समुद्री कानून प्रवर्तन, समुद्री प्रदूषण पर कार्रवाई और क्षमता विस्तार जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। बैठक में समुद्री प्रदूषण से निपटने में संयुक्त प्रयासों के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया। इसमें पर्यावरणीय खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए प्रशिक्षण और संसाधन-साझाकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अलावा, दोनों तटरक्षक बलों ने परिचालन क्षमताओं और अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाने के लिए ज्ञान के आदान-प्रदान, संयुक्त अभ्यास तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से क्षमता विस्तार के महत्व को रेखांकित किया। स्थापित सहयोग तंत्र के हिस्से के रूप में 9 दिसंबर को नई दिल्ली स्थित आईसीजी मुख्यालय में फिलीपीन तटरक्षक बल के साथ इस दूसरी द्विपक्षीय बैठक का आयोजन किया गया।

आईसीजी के उप महानिदेशक (संचालन एवं तटीय सुरक्षा) महानिरीक्षक अनुपम राय ने पीसीजी के प्रशासन उप कमांडेंट रियर एडमिरल एडगर एल यबनेज के साथ बैठक की अध्यक्षता की। दोनों पक्षों ने संयुक्त एसएआर परिचालन गतिविधियों को बढ़ावा देने के तौर-तरीकों पर विचार-विमर्श किया, ताकि साझा संसाधनों व विशेषज्ञता के माध्यम से समुद्र में आपात स्थितियों पर त्वरित कार्रवाई की जा सके। उच्च स्तरीय चार सदस्यीय पीसीजी प्रतिनिधिमंडल 8-12 दिसंबर तक की अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान, ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत भारतीय स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमताओं को देखने के लिए रक्षा उत्पादन विभाग के प्रतिनिधियों से भी भेंट करेगा। दोनों देशों के बीच अगस्त 2023 में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षित एवं प्रदूषण मुक्त समुद्री वातावरण सुनिश्चित करने में आईसीजी और पीसीजी के साझा दृष्टिकोण को रेखांकित करता है। यह द्विपक्षीय बैठक दोनों तटरक्षक बलों के बीच आपसी संबंधों को और सशक्त करेगी, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान मिलेगा तथा समुद्री चुनौतियों से निपटने में सहयोग भी बढ़ेगा।

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