नयी दिल्ली- भारत और जापान ने वैश्विक उथल-पुथल के बीच दुनिया में टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थापना एवं स्थायित्व के लिए आर्थिक तथा तकनीकी सहयोग बढ़ाने के इरादे के साथ आपसी सहयोग के दो करार दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा के साथ यहां हैदराबाद हाउस में प्रतिनिधि मंडल स्तर की द्विपक्षीय बैठक में ये फैसले लिए गये। जापान के प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को मई में जी 7 के शिखर-सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया वहीं श्री मोदी ने सितंबर में जी 20 के शिखर सम्मेलन में श्री किशिदा की पुनः मेजबानी करने की अपेक्षा व्यक्त की।
श्री मोदी ने अपने मीडिया वक्तव्य में कहा कि पिछले एक वर्ष में श्री किशिदा से उनकी कई बार मुलाकात हुई है तथा हर बार भारत-जापान संबंधों के प्रति उनकी सकारात्मकता एवं प्रतिबद्धता को महसूस किया है। इसलिए आज की उनकी यात्रा हमारे आपसी सहयोग की गति बनाए रखने के लिए बहुत उपयोगी रहेगी।
श्री मोदी ने कहा कि इस साल भारत जी 20 की अध्यक्षता कर रहा है और जापान जी 7 की। इसलिए अपनी अपनी प्राथमिकताओं और हितों पर साथ मिलकर काम करने का यह उत्तम अवसर है। उन्होंने आज श्री किशिदा को भारत की जी 20 अध्यक्षता की प्राथमिकताओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा “ हमारी जी 20 अध्यक्षता का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को आवाज़ देना है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को मानने वाली संस्कृति सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है, और इसीलिए हमने यह पहल ली है।”
श्री मोदी ने कहा कि भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझीदारी हमारे साझा लोकतान्त्रिक मूल्यों, और अंतर-राष्ट्रीय पटल पर कानून के शासन के सम्मान पर आधारित है। इस साझेदारी को मजबूत बनाना हमारे दोनों देशों के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, इससे हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शान्ति, समृद्धि और स्थिरता को भी बढ़ावा मिलता है। आज हमारी बातचीत में, हमने द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने रक्षा उपकरण और तकनीकी सहयोग, व्यापार, स्वास्थ्य, और डिजिटल साझीदारी पर विचारों का आदान-प्रदान किया। सेमीकन्डक्टर और अन्य महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी में विश्वस्त आपूर्ति श्रृंखला के महत्व पर भी हमारे बीच सार्थक चर्चा हुई। पिछले साल, हमने अगले 05 वर्षों में भारत में 05 ट्रिलियन येन, यानि तीन लाख बीस हजार करोड़ रूपए, के जापानी निवेश का लक्ष्य तय किया था। यह संतोष का विषय है, कि इस दिशा में अच्छी प्रगति हुई है।
उन्होंने कहा , “वर्ष 2019 में, हमने भारत जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मक साझीदारी की स्थापना की थी। इसके अंतर्गत, हम लॉजिस्टिक्स, खाद्य प्रसंस्करण, लघु एवं मध्यम उद्योग, कपड़ा उद्योग, मशीनरी और इस्पात जैसे क्षेत्रों में भारतीय इंडस्ट्री की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ा रहे हैं। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल पर भी हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। मुझे इस बात की भी खुशी है कि हम 2023 को टूरिज्म एक्सचेंज वर्ष के रूप में मना रहें हैं। और इसके लिए हमने “हिमालय एवं मांउट फूजी संपर्क” नाम का थीम चुना है।”
श्री मोदी ने कहा, “ आज श्री किशिदा ने मुझे मई महीने में हिरोशिमा मे होने वाली जी 7 लीडर्स समिट के लिए निमंत्रण दिया। इसके लिए मैं उनका हृदय से धन्यवाद करता हूँ। इसके कुछ महीनों बाद सितम्बर में जी 20 लीडर्स समिट के लिए मुझे उनका फिर से भारत में स्वागत करने का अवसर मिलेगा। हमारी कामना है कि बातचीत और संपर्कों का यह सिलसिला इसी प्रकार चलता रहे तथा भारत-जापान संबंध लगातार नई ऊंचाइयों को छूते रहें।”
बाद में विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा “ भारत और जापान हमारे लिए एक्ट ईस्ट के बड़े विजन के बारे में बात कर रहे हैं, भारत और जापान इस मुद्दे पर कैसे सहयोग कर सकते हैं, जो क्षेत्रीय, उप-क्षेत्रीय और द्विपक्षीय संबंधों के 3-4 प्रमुख पहलुओं को अनिवार्य रूप से मजबूत करता है। इनमें कनेक्टिविटी परियोजनाओं का निर्माण महत्वपूर्ण है जो भारत के उत्तर-पूर्व को उन बाकी देशों से जोड़ती हैं।”
उन्होंने कहा कि जापानी प्रधानमंत्री श्री मोदी से मिलने के लिए भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं। जापान उन कुछ देशों में से एक है जिनके साथ भारत की वार्षिक शिखर वार्ता की व्यवस्था है। श्री मोदी ने भारत-जापान संबंधों को इस क्षेत्र में सबसे प्राकृतिक साझेदारी में से एक के रूप में संदर्भित किया है:…इस मौके पर दो दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए- जापानी भाषा शिक्षण के बारे में एमओसी (सहयोग का ज्ञापन) का नवीनीकरण, अनिवार्य रूप से उच्च स्तरीय भाषा सीखने पर ध्यान केंद्रित करना और दूसरा समझौता मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेलवे पर 300 बिलियन के जाइका के ऋण की चौथी किश्त पर नोटों का आदान-प्रदान था।
विदेश सचिव ने कहा कि भारत और जापान ने अपनी क्षेत्रीय चुनौतियों का उल्लेख किया और भारत जापान सह अविष्कार, सह उत्पादन के क्षेत्र में मिल कर काम करने पर जोर दिया।