मेरठ। आज बाईपास स्थित एक निजी विवि के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में “समाज पर मीडिया का प्रभाव: विरासत मीडिया और नया मीडिया (मीडिया इफेक्स् ऑन सोसायटीः लीजेसी मीडिया एंड न्यू मीडिया” पर अंतर्राष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान में क्लीवलेंड स्टेट यूनिवर्सिटी, ओहीयो, संयुक्त राज्य अमेरिका के मास कम्यूनिकेशन विभाग के प्रोफेसर डॉ. अनूप कुमार ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार रखे। अपने संबोधन में डॉ. अनूप कुमार ने विश्व सत्र पर पत्रकारिता एवं जनसंचार के प्रभाव को इंगित करते हुए कहा कि मीडिया का समाज पर बहुत व्यापक प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने कहा कि प्रथम विश्वयुद्ध के समय अमेरिकी समाजशास्त्रीयों ने इस बात को सर्वप्रथम रेखांकित किया था। उन्होंने अपनी शोधों में यह पाया कि किसी भी प्रोपेगेंडा को बड़े पैमाने पर प्रसारित करने के लिए मीडिया बहुत उपयोगी है। डॉ. अनूप ने यह भी कहा कि 20वीं सदी के प्रारम्भिक वर्षों में प्रसिद्ध अमेरिकी प्रकाशक एडवर्ड. डब्ल्यू स्क्रिप्स ने कहा है कि लोकतांत्रिक सरकार समाचारपत्रों की सरकार होती है। इसके अतिरिक्त डॉ. कुमार ने कहा कि मीडिया ना केवल समाज को प्रभावित करता है वरन यह समाज के साथ-साथ प्रत्येक मनुष्य को व्यक्तिगत रूप से भी प्रभावित करता है। विद्यार्थियों के प्रश्नों का जवाब देते हुए प्रोफे. अनूप कुमार ने कहा कि भारतीय पत्रकारिता विश्व में सर्वाधिक विविधतापूर्ण पत्रकारिता है क्योंकि यहां की सामाजिक संरचना विविधताओं से भरी हुई है।
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समाचार के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने की जरूरत है और पत्रकारों को आज के आधुनिक दौर में न्यू मीडिया को भलीभांति समझना होगा। प्रोफेसर अनूप ने कहा कि हाइब्रिड मीडिया के इस दौर में आज मीडिया राजनीतिक और सामाजिक सोच को बदलने की ताकत रखता है। उन्होंने कहा कि आज आम आदमी से जुड़ा कंटेंट समाचार पत्रों से लगभग नदारद दोता जा रहा है जोकि चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि न्यू मीडिया ने आज पत्रकारिता की दिशा और दशा बदल दी है।
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प्रोफेसर अनूप ने विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं को शांत करते हुए कहा कि कोई भी एआई से पत्रकारिता और जनसंचार के क्षेत्र को कोई खतरा नहीं है, क्योंकि कोई भी तकनीकि कभी भी समाप्त नहीं हो सकती है बस हमारे दैनिक समय में से इसका समय नई तकनीक के साथ बंट जाता है।
इस अवसर पर अतिथि का परिचय देते हुए पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रोफे.(डॉ.) सुभाष चंद्र थलेडी ने कहा कि आज के समय में लोग पत्रकारिता को बहुत ही सरल मानते हैं जबकि वास्तविकता में यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि इसमें विभिन्न पहलुओं का बहुत ही सावधानीपूर्वक अध्ययन करते हुए उसको अपनी रिपोर्टों में सम्मिलित करना होता है।