Wednesday, April 23, 2025

तीन दिनों की सीबीआई रिमांड पर भेजे गए केजरीवाल, सुबह हुई थी गिरफ्तारी

नई दिल्ली। दिल्ली शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तीन दिनों की सीबीआई रिमांड में भेज दिया है। हालांकि, सीबीआई ने पांच दिनों की हिरासत की मांग की थी। इस मामले में अगली सुनवाई 29 जून को तय की गई है।

 

बता दें कि बुधवार सुबह केजरीवाल को तिहाड़ जेल से सीबीआई ने गिरफ्तार किया। इसके बाद उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया, जहां सुनवाई के दौरान सीबीआई ने आरोप लगाया कि जिस कैबिनेट ने नई आबकारी नीति को मंजूरी दी थी, उसका ना महज अरविंद केजरीवाल हिस्सा थे, बल्कि उन्होंने इस घोटाले में अहम भूमिका भी निभाई थी। सीबीआई ने कहा कि वो केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का आमना-सामना कराकर पूछताछ करना चाहते हैं, जिसे देखते हुए उनकी हिरासत जरूरी है।

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इसके अलावा, सीबीआई ने दावा किया कि जांच जारी है, जुलाई तक पूरी हो जाएगी। वहीं, सीबीआई ने दावा किया कि केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया पर सारा दोष मढ़ा है, लेकिन केजरीवाल ने अदालत में कहा कि उन्होंने सिसोदिया को निर्दोष बताया है। उन्होंने सिसोदिया पर इस मामले में किसी भी प्रकार का आरोप नहीं लगाया। सीबीआई ने बुधवार सुबह अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया, जिसके बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया, जहां उनका शुगर लेवल अचानक डाउन हो गया, जिसके बाद उन्हें अलग कमरे में ले जाकर चाय और बिस्कुट खिलाई गई।

 

उधर, पति अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की खबर मिलने के बाद सुनीता केजरीवाल कोर्ट पहुंची। उन्होंने अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर पोस्ट किया जिसमें कहा, “20 जून को अरविंद केजरीवाल को जमानत मिली। इसके बाद तुरंत ईडी ने स्टे लगा दिया। अगले ही दिन सीबीआई ने उन्हें आरोपी बना दिया। आज उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। पूरा तंत्र इस कोशिश में है कि बंदा जेल से बाहर ना आए। ये क़ानून नहीं है। ये तानाशाही है, इमरजेंसी है।”

 

बता दें, इससे पहले अरविंद केजरीवाल को निचली अदालत की ओर से जमानत मिल गई थी, लेकिन ईडी ने इसके विरोध में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने केजरीवाल को मिली जमानत पर स्टे लगा दिया। यही नहीं, कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा दिए गए फैसले पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा था कि फैसला देते वक्त कोर्ट ने मामले से जुड़े दस्तावेजों का ढंग से अध्ययन नहीं किया।

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