मुजफ्फरनगर -सर्वोच्च न्यायालय कहता है कि यदि किसी महिला के साथ यौन उत्पीड़न हुआ है तो उसके बयान को प्रमुखता दी जानी चाहिए लेकिन मुजफ्फरनगर पुलिस है कि जांच अधिकारी और न्यायालय दोनों का काम भी खुद ही करने में लगी हुई है।
एक महिला के साथ दो युवकों ने दुष्कर्म किया, पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज कर लिया लेकिन उसमें एक को जेल भेज दिया जबकि दूसरे को क्लीन चिट देने में लगी हुई है।
शहर कोतवाली के मौहल्ला रामलीला टिल्ला की चुंगी नंबर 2 निवासी पीड़िता दीपिका [बदलाव हुआ नाम] ने बताया कि उसके साथ उसके पड़ौस में रहने वाले दो युवकों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था, जिसका मामला शहर कोतवाली में धारा 323, 354 ए, 376, 452 और 506 में दर्ज करा दिया गया था।
पीड़िता ने बताया कि कोतवाली पुलिस ने एक मुलजिम को तो जेल भेज दिया लेकिन दूसरे मुलजिम को बचाने में लगी हुई है। पीड़िता ने बताया कि पुलिस जानबूझकर उसे गिरफ्तार नहीं कर रही है और वह मौहल्ले में ही घूमते हुए प्रार्थिया को धमकी दे रहा है।
दीपिका का कहना है कि वह मुझे धमकी दे रहा है कि तुमने मेरे खिलाफ बयान दिया तो तुम्हें जान से मार दूंगा।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन को दिए शिकायती पत्र में दीपिका ने अपनी जान माल की सुरक्षा की गुहार लगाई है। उसका आरोप है कि शहर कोतवाली से जुड़े पुलिसकर्मी आरोपी से मिले हुए हैं और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद भी उसे न्याय नहीं मिल रहा है ,जबकि उसके अदालत में 164 के बयान भी दर्ज हो चुके हैं ।