मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर में यूपी बोर्ड परीक्षा के दौरान एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। 24 फरवरी को आयोजित सामान्य हिंदी और साहित्य हिंदी की परीक्षाओं में खतौली के कबूल कन्या इंटर कॉलेज परीक्षा केंद्र पर भारी चूक हुई। यहां सामान्य हिंदी के परीक्षार्थियों को साहित्य हिंदी का पेपर दे दिया गया। मामले का खुलासा तब हुआ जब परीक्षा के बाद छात्र-छात्राओं ने परिजनों को इस गलती की जानकारी दी और परिजनों ने इस गड़बड़ी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों और अभिभावकों ने परीक्षा दोबारा कराए जाने की मांग की है।
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घटना की जानकारी मिलते ही शिक्षा विभाग हरकत में आया। जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि इस लापरवाही के लिए केंद्र पर तैनात शिक्षकों और केंद्र व्यवस्थापक को हटा दिया गया है। दोषी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। बोर्ड को भी इस मामले की रिपोर्ट भेज दी गई है और दोषियों को डिबार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
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DIOS ने बताया कि जांच में पाया गया कि लगभग 6-7 छात्राओं को गलत प्रश्नपत्र दिया गया। जब छात्राओं ने आपत्ति जताई, तो उनकी बात नहीं सुनी गई। यह एक गंभीर चूक है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाएगा।”
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छात्राओं का कहना है कि जब उन्हें गलत पेपर मिला, तो उन्होंने तत्काल परीक्षा कक्ष में मौजूद शिक्षकों को इसकी जानकारी दी। लेकिन उन्हें डरा-धमकाकर पेपर हल करने को मजबूर किया गया।
छात्रा शालू ने बताया कि हमने कई बार शिक्षकों को बताया कि यह हमारा विषय नहीं है। लेकिन हमें चुप करा दिया गया और कहा गया कि यही पेपर हल करना होगा। पेपर खत्म होने के बाद जब हमने फिर से शिकायत की, तो हमें नजरअंदाज कर दिया गया।”
शिशु शिक्षा निकेतन इंटर कॉलेज खतौली की प्रधानाचार्य ने इस लापरवाही पर नाराजगी जताई और जिला विद्यालय निरीक्षक से हस्तक्षेप करने की अपील की। उन्होंने बताया कि हमारे विद्यालय की छात्राओं का परीक्षा केंद्र कबूल कन्या इंटर कॉलेज था। वहां सामान्य हिंदी की जगह साहित्य हिंदी का पेपर दिया गया। लड़कियों ने विरोध किया, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। हमने जिला विद्यालय निरीक्षक से इस मामले की शिकायत की है और पुनर्परीक्षा कराने की मांग की है।”
घटना की गंभीरता को देखते हुए भारतीय किसान यूनियन (BKU) भी छात्रों के समर्थन में आ गई है। यूनियन के कार्यकर्ताओं ने कॉलेज प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और कहा कि यदि छात्रों को न्याय नहीं मिला तो वे आंदोलन करेंगे।
छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों का कहना है कि यह गलती प्रशासन की है और इसका खामियाजा छात्रों को नहीं भुगतना चाहिए। वे चाहते हैं कि बोर्ड उनकी परीक्षा फिर से आयोजित करे ताकि उनकी मेहनत बर्बाद न हो।
फिलहाल जिला विद्यालय निरीक्षक ने बोर्ड को इस मामले की रिपोर्ट भेज दी है और जल्द ही छात्रों के लिए उचित समाधान निकाले जाने का आश्वासन दिया है।