अहमदाबाद। मन की बात के 100वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने गुरु वकील साहब उर्फ लक्ष्मणराव इनामदार को याद किया। उन्होंने कहा कि मेरे मार्गदर्शक लक्ष्मणराव इनामदार थे। उन्हें हम वकील साहब कहते थे। वे हमेशा कहते थे कि दूसरे के गुणों की पूजा करनी चाहिए। सामने कोई भी हो, हमारे साथ नहीं हो, हमारा विरोधी भी हो तो भी उसके अच्छे गुणों को जानने और सीखने का प्रयास करना चाहिए। ऐसे में यह वकील साहब कौन थे, जिसने नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व को गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह उस समय की बात है जब नरेन्द्र मोदी वडनगर से अहमदाबाद आए थे। अहमदाबाद में वे बाबूमामा के घर पर रुके थे। स्टेट ट्रांसपोर्ट के ऑफिस में बाबूमामा एक छोटा सा कैन्टीन चलाते थे। उनकी सहायता के लिए मोदी ने वहां कुछ समय के लिए काम भी किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों से बचपन से प्रेरित मोदी वैसे तो वकील साहब से 6-7 साल की आयु के थे तब ही वडनगर में मिल चुके थे। वकील साहब ने करीब तीन दशक तक गुजरात में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सांगठनिक विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मोदी जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े तो शुरुआती दौर में ही वकील साहब से उनकी निकटता हो गई थी। मोदी संघ के कार्यालय में काम करते। दो साल तक खुद की खोज में वे हिमालय भ्रमण पर निकल गए, फिर वापस आए तो वकील साहब ने उन्हें संघ कार्यालय में रहने की अनुमति प्रदान की। उनके सिवाय दूसरे 12-15 लोग वहां रहते थे। उनकी दिनचर्चा थी कि वे सुबह 5 बजे उठ जाते थे, दूध लाते, सभी को जगाते और इसके बाद सुबह की सभा में शामिल हो जाते। इसके बाद सभी को चाय-पानी देते थे। बर्तन को धोकर शाखा में जाते। वापस आकर सभी को नाश्ता देते। नाश्ता करने के बाद कमरे में झाड़ू लगाते, सफाई करते। अपने और वकील साहब के कपड़े धोते। दोपहर का खाना वे किसी ना किसी स्वयंसेवक के घर जाकर करते थे। वापस आकर सभी के लिए चाय बनाते। इसी तरह दिनभर घर का काम करते-करते दिन गुजर जाता था।
उनका यह नित्यक्रम एक साल तक रहा। यह सारी बात वर्ष 2009 में प्रकाशित डॉक्टर एमवी कामथ लिखित पुस्तक नरेन्द्र मोदी आधुनिक गुजरात के शिल्पी में उल्लेखित है। जब मोदी वकील साहब के साथ रहते तो वे संघ के कई व्यक्तियों के साथ सम्पर्क में आए। वकील साहब के मार्गदर्शन में वे प्रचारक के रूप में काम करते। आज प्रधानमंत्री मोदी में जो संगठन कुशलता देखने को मिलती है वह लक्ष्मणराव इनामदार यानी वकील साहब की देन बताई जाती है। इसका उल्लेख मोदी ने स्वलिखित पुस्तक ज्योतिपुंज में किया है। वकील साहब को पढ़ने का शौक था। युवावस्था में वे कबड्डी और खो-खो खेलते थे। प्रणायाम से अपने शरीर को स्वस्थ्य रखते थे। 15 जुलाई 1985 को वकील साहब का निधन हो गया था।