लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रविवार को राजभवन में उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक को ‘पद्म भूषण’ हेतु मनोनीत होने पर समारोहपूर्वक सम्मानित किया गया। पूर्व राज्यपाल का अभिनंदन करते हुए आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राम नाईक का जीवन ‘‘चरैवेति-चरैवेति’’ का उत्कृष्ट उदाहरण है। श्री नाईक ने प्रदेश के राज्यपाल के रूप में उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस तथा एक जिला एक उत्पाद की अवधारणा की शुरुआत कभी भूली नहीं जा सकती।
आनंदीबेन पटेल ने नाईक को बेबाक नेता, कर्मठ समाजसेवी बताया तथा वरिष्ठ राजनीतिक कार्यकर्ता की भूमिका हेतु उनकी सराहना की। कुष्ठ रोगियों के उद्धार हेतु नाईक द्वारा किए जाने वाले कार्य तथा समर्पित समाज सेवक के रूप में उनके कार्यों की प्रशंसा करते राज्यपाल ने कहा कि संसद में जन गण मन, वंदे मातरम गायन, सांसद निधि की शुरुआत राम नाईक के प्रयासों का ही प्रतिफल है। उन्होंने श्री नाईक के संस्मरणों की पुस्तक “चरैवेति-चरैवेति” का विभिन्न भारतीय भाषाओं व विदेशी भाषाओं सहित ब्रेल लिपि में अनुवाद किए जाने की भी प्रशंसा की। इस बात का भी कार्यक्रम में उल्लेख हुआ की “चरैवेति-चरैवेति” का जन्म स्थान राजभवन उत्तर प्रदेश को बताया।
उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने इस अवसर पर उत्तर प्रदेश वासियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्हें पद्मभूषण सम्मान हेतु मनोनीत किये जाने में उत्तर प्रदेश राज्य की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। “सम्पूर्ण जीवन में किए सामाजिक कार्य के लिए पद्म भूषण से मनोनीत हुआ हूँ। मेरे सामाजिक कार्यकर्ता के कार्य पर चार चाँद लगाने का काम उत्तर प्रदेश में बतौर राज्यपाल बिताए पाँच वर्षों ने किया है।” ऐसा कह कर इस समय बोलते समय पूर्व राज्यपाल ने अपने कई कार्यानुभवों को साझा किया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय को अपनी राजनीतिक जीवन का आदर्श बताते हुए श्री नाईक ने कहा कि उनका लक्ष्य समाज के सबसे अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की सेवा व उत्थान है। लोगों का उनके प्रति स्नेह उनकी पूंजी है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ0 सुधीर महादेव बोबडे ने पूर्व राज्यपाल का स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए कहा कि इस सम्मान से राजभवन परिवार को गर्व की अनुभूति हो रही है। इस अवसर पर महाराष्ट्र मण्डल के सदस्यगण, विशेष सचिव श्री बी0एन0 सिंह, डॉ0 निशिगंधा नाईक सहित राजभवन के अधिकारीगण, कार्मिक व अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।