Saturday, December 21, 2024

मोदी को अभी भी पसंद नहीं करते मणिशंकर अय्यर, बोले-सोनिया को नहीं पता था उन्हें कांग्रेस से निकालने का !

नयी दिल्ली- कांग्रेस नेता मणि शंकर अय्यर ने कहा है कि कांग्रेस के दुश्मन पार्टी के भीतर मौजूद हैं तथा उन्होंने अंदर रहकर हमेशा पार्टी को नुकसान पहुंचाया हैं और उसी का परिणाम है कि जब उन्हें निलम्बित किया गया था तो इसकी भनक कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को भी नहीं लगने दी गई।
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उन्होंने कहा कि गांधी परिवार से उनकी राजीव गांधी के समय से ही नजदीकी रही है और खुद कांग्रेस नेता सोनिया गांधी का उन्हें हमेशा स्नेह मिलता रहा है लेकिन जब उन्हें पार्टी से निलम्बित किया गया और बाद में इस बारे में उन्होंने श्रीमती गांधी से बात की तो यह सुनकर उन्हें हैरानी हुई कि श्रीमती गांधी को उनके निलम्बन की कोई जानकारी ही नहीं थी। गौरतलब है कि श्री अय्यर को 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अपशब्द कहने के बाद कांग्रेस ने निलम्बित कर दिया था।
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गांधी परिवार के प्रति वफादारी के लिए मशहूर कांग्रेस के पूर्व नेता मणिशंकर अय्यर ने अपनी आत्मकथा ‘ए मेवरिक इन पॉलिटिक्स’ पर चर्चा के लिए पत्रकार करण थापर को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि उन्हें दिसम्बर 2017 को कांग्रेस से निलम्बित किया गया था। बाद में उन्होंने इस बारे में श्रीमती गांधी से बात की तो बताया गया कि कांग्रेस अध्यक्ष को पता ही नहीं है कि मणिशंकर को हटाया गया है।

उन्होंने कहा कि सिर्फ उन्हें ही नहीं अत्यंत प्रभावशाली नेता प्रणव मुखर्जी को भी पार्टी नेताओं के कारण पार्टी से निकाला गया था। खुद प्रधानमंत्री राजीव गांधी को पता ही नहीं था कि श्री मुखर्जी को हटाया गया है। यह पूछने पर कि कांग्रेस नेतृत्व को जानकारी से वंचित रखना आपदा जैसी स्थिति नहीं है, उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी संगठन में इस तरह की स्थिति होनी तो नहीं चाहिए।
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उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व अपना काम करता है लेकिन पार्टी में हमेशा ऐसे नेता रहे हैं जो कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने का काम करते रहे हैं। उनका मकसद यही रहा है कि जब तक पार्टी नेतृत्व सुधार के लिए कदम उठाए उससे पहले पार्टी को नुकसान पहुंचा दीजिए। उन्होंने कहा कि पार्टी महासिचव के सी वेणुगोपाल से उन्होंने अपने निलंबन के बारे में बात की तो उनका जवाब बहुत निराशाजनक था। उन्होंने कहा “जब उन्हें आपकी जरूरत होगी तो वह आपको खुद ही बुला लेंगे। आप फिलहाल जहां और जैसे हैं वैसे ही रहिए।”

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श्री अय्यर ने कहा “मैं राजीव गांधी के बहुत करीबी रहा हूं और अंतरराष्ट्रीय मामलों को लेकर उनके भाषण भी बनाता था लेकिन मुझे मंत्री नहीं बनाया गया। खुद राजीव गांधी ने मुझसे कहा था कि वह मुझे केंद्रीय मंत्री नहीं बना सकते लेकिन यदि चाहें तो प्रधानमंत्री कार्यालय में ओएसडी बनाया जा सकता है। मैं राजीव गांधी के 12 सूत्री कार्यक्रम का संयुक्त सचिव था। पीएमओ में कई लोगों ने राजीव गांधी को कहा था कि मेरी छवि अच्छी नहीं है। खुद राजीव गांधी ने कहा था कि वह मुझे बहुत चाहते हैं। एक संयुक्त सचिव तथा प्रधानमंत्री के पद के बीच के स्तर में बहुत बड़ा अंतर था लेकिन उन्होंने मुझे कहा कि यह सिस्टम आपको स्वीकार नहीं करेगा और इसलिए आपको मंत्री नहीं बना सकता। आपको संसद सदस्य बना देता हूं।”

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उन्होंने कहा कि उसके बाद सोनिया गांधी का हाथ,उनके साथ रहा है लेकिन वह कुछ नहीं कर पाईं और उन्हें कांग्रेस से निलम्बित किया गया। बाद में राहुल ने एक अखबार से कहा कि वह मुझे पसंद नहीं करते हैं लेकिन मुझे प्यार जरूर करते हैं। गांधी परिवार के साथ मेरे संबंध बहुत अच्छे रहे हैं और सोनिया गांधी का भी वरद हाथ उन पर बराबर बना रहा है। श्री अय्यर ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कभी चाय वाला नहीं कहा। खुद मोदी ने यह बात कही है कि वह चाय वाला है। मैंने कभी नहीं कहा कि वह एक चायवाला है, वह देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता। खुद मोदी ने कहा है कि वह चाय बेचते थे। बाद में यह खुद रेलवे ने स्पष्ट किया है कि जिस स्थान पर मोदी पले और बढे हैं, वहां कभी रेलवे का प्लेटफार्म ही नहीं था।

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पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा “डॉ. मनमोहन सिंह को 2012 में राष्ट्रपति पद पर बिठाया जाना चाहिए था और प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनाया जाना चाहिए था। अगर ऐसा हुआ होता तो कांग्रेस 2014 में सिर्फ 44 सीटों पर नहीं सिमटती बल्कि 140 के आसपास आ जाती।”

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श्री अय्यर ने यह भी कहा कि वह नरेंद्र मोदी को बेहद नापसंद करते हैं लेकिन उनका मानना है कि अटल बिहारी वाजपेयी ‘एक अच्छे इंसान’ थे। अपनी आत्मकथा में यह भी खुलासा किया है कि प्रणब मुखर्जी को तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी की जानकारी के बिना ही कांग्रेस पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। इसकी पहले न जानकारी दी गई और ना ही इसको लेकर उनकी मंजूरी ली गई। ऐसा ही फ़ैसला उनके निलम्बन को लेकर भी आया जब सोनिया गांधी को बताए बिना उनका निलंबन किया गया।

उन्होंने जनवरी 1998 की घटना का जिक्र करते हुए बताया कि किस स्थिति में वह ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के सदस्य बने और कोलकाता में सुश्री बनजी से मुलाकात के बाद दिल्ली लौटने पर उन्होंने डा मनमोहन सिंह को तृणमूल में शामिल होने और उत्तर कोलकाता से चुनाव लड़ने की सलाह दी लेकिन डॉ सिंह का यह जवाब सुनकर उन्हें आश्चर्य हुआ कि “यह देश कभी एक सिख को प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं करेंगा।”

छह साल बाद जब 2004 में सोनिया गांधी ने उन्हें प्रधान मंत्री बनाने का ऐलान किया तो उसके एक दो दिन बाद वह डॉ. सिंह से मिलने उनके घर गये। तब उन्होंने कहा था “इस घोषणा से मैं हतप्रभ हूं और मैंने कभी ऐसा सोचा तक नहीं था।”

डॉ सिंह के दूसरे कार्यकाल में उनके कमजोर प्रधानमंत्री नजर आने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि साल 2012 में मनमोहन सरकार में एक तरह का संकट था क्योंकि डॉ सिंह की छह बाइपास सर्जरी हुई थी और खुद श्रीमती सोनिया गांधी बीमार थी, इस तरह से सरकार और पार्टी नेता विहीन हो गई थी। इसी बीच अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन हुआ जिसका डॉ सिंह के नेतृत्व वाली सरकार पर नकारात्मक असर पड़ा।

श्री अय्यर ने राहुल गांधी के संदर्भ में पूछे गये एक सवाल पर कहा “वह व्यक्तिगत रूप से मेरा बहुत आदर करते हैं लेकिन मुझे एक राजनीतिक बोझ मानते हैं। वैसे भी सांसद बनने के लिए मेरी उम्र अब बहुत ज्यादा है। श्री गांधी ने ‘द हिंदू’ के पूर्व प्रधान संपादक और प्रकाशक एन. राम से कहा है कि वह मणिशंकर अय्यर से ‘प्यार’ करते हैं।” श्री अय्यर ने यह भी कहा कि ‘राहुल गांधी नरेंद्र मोदी से भी प्यार करते हैं।’

उन्होंने कहा “मेरा मानना ​​है कि राहुल गांधी के गुणों के बारे में हम फिलहाल नहीं बता सकते हैं। यही बात राजीव गांधी के बारे में भी सत्य है कि जब 1984 में वह प्रधान मंत्री बने तो उसके बाद ही प्रधान मंत्री के रूप में उन्होंने एक प्रधानमंत्री होने के गुणों का दृढ़ता से परिचय दिया जिसके बारे में पहले किसी दूसरे ने सोचा भी था कि उनमें प्रधानमंत्री होने के ऐसे श्रेष्ठ गुण विद्यमान हैं।

बाबा राम देव को लेने सरकार के तीन मंत्रियों के हवाई अड्डे पहुंचने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा “यह सही है कि प्रणव मुखर्जी, सलमान खुर्शीद तथा कपिल सिब्बल निजी विमान से आये और बाबा को लेने के लिए एअरपोर्ट पर खडे थे। उनको वह सीधे एक होटल में लेकर आये और उनसे एक बयान में हस्ताक्षर करवा दिए कि वह अन्ना हजारे के आंदोलन में नहीं जाएंगे।

इस बयान पर हस्ताक्षर होने के बाद ही बाबा को अन्ना हजारे के आंदोलन में जाने की अनुमति दी गई लेकिन बाद में वह आंदोलन में गये और किरण बेदी तथा अरविंद केजरीवाल के साथ आंदोलन में प्रमुख भूमिका में रहे। पहले राजघाट में धरना देने की बात हुई लेकिन बाद में रामलीला मैदान में रैली की गई।
उसी रात पुलिस ने रैली पर हमला किया और रामदेव को बुर्का पहनकर भागना पड़ा। कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार 2014 के चुनाव में इस स्तर पर चुनाव हारेगी ऐसा किसी ने नहीं सोचा था।”
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