नयी दिल्ली- पत्नी और ससुराल वालों पर उत्पीड़न और झूठे आरोप लगाने वाले कथित वीडियो के अलावा लिखित नोट छोड़ कर खुदकुशी करने वाले बेंगलुरू के इंजीनियर अतुल सुभाष की मां अंजू देवी ने अपने चार वर्षीय पोते का पता लगाने और उसे अपने पास रखने की गुहार के साथ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
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न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अंजू देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक सरकारों को नोटिस जारी किए। शीर्ष अदालत इस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अगली सुनवाई 07 जनवरी को करेगी।
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सुभाष ने 09 दिसंबर को आत्महत्या कर ली थी। अपनी मौत से पहले उसने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर उत्पीड़न और झूठे आरोप लगाने वाले वीडियो और लिखित नोट छोड़े थे। इस घटना ने दहेज निषेध कानूनों के दुरुपयोग को लेकर चारों तरफ चर्चा हो रही है। लोग चिंता व्यक्त कर रहे हैं।
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सुभाष की मां ने अधिवक्ता कुमार दुष्यंत सिंह के माध्यम से अदालत का दरवाजा खटखटाया। अपनी याचिका में उन्होंने प्रतिवादी पुलिस अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की है कि उसके लगभग 4 वर्ष और 9 महीने के पोते खोजकर पेश करें। उनकी याचिका में दावा किया गया है कि बच्चे को उसकी मां ने जानबूझकर उसके जैविक पिता की पहुंच से दूर रखा, ताकि उसे गंभीर मानसिक पीड़ा हो।
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याचिका में कहा गया है कि अतुल को अपनी पत्नी के हाथों गंभीर मानसिक उत्पीड़न और क्रूरता का सामना करना पड़ा।
याचिका में दावा किया गया है कि न तो सुभाष की अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया और न ही उनके परिवार के सदस्यों (जो वर्तमान में हिरासत में हैं) ने बच्चे के ठिकाने का खुलासा किया है।
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याचिका में कहा गया है, “चूंकि बच्चे के जैविक पिता और प्राकृतिक अभिभावक अब जीवित नहीं हैं और उसकी जैविक मां और नानी गिरफ्तार और हिरासत में हैं, इसलिए दादी ने इस याचिका के माध्यम से इस अदालत का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता को बच्चे के जान के खतरे और स्वतंत्रता का डर सता रहा है। याचिका में कहा गया है कि बच्चा कहां है, इसके बारे में भी कोई जानकारी नहीं है।
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पुलिस ने निकिता सिंघानिया, उनकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया को सुभाष को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में 16 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। याचिका में कहा गया है कि संभावना यह है कि बच्चे की मां ने उसे किसी अज्ञात व्यक्ति के पास रखा है, जो इसके लिए हकदार नहीं है।
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याचिका में कहा गया है कि, “मामले के वर्तमान तथ्यों और परिस्थितियों में (जहां उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है और मां को प्रतिवादी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है) याचिकाकर्ता ही बच्चे को अपने पास रखने लिए सबसे उपयुक्त है।”
गौरतलब है कि इससे पहले इस मामले में अतुल के पिता और भाई ने बच्चे के लिए गुहार लगाई थी।