Tuesday, March 4, 2025

मेरठः सीसीएसयू में नाट्य एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन

मेरठ। राजभवन उत्तर प्रदेश के निर्देशन में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में नाट्य एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह भव्य आयोजन विश्वविद्यालय की साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद, महिला अध्ययन केंद्र और चरक स्कूल ऑफ फार्मेसी के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ, जिसमें महाभारत के ‘द्रौपदी चीर हरण’ प्रसंग, अहिल्याबाई होलकर की जीवनी, भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया उपदेश  का प्रभावशाली मंचन प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का आयोजन माननीय कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला के मार्गदर्शन में हुआ।

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साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद की अध्यक्ष प्रो. नीलू जैन गुप्ता, समन्वयक प्रो. कृष्ण कांत शर्मा और महिला अध्ययन केंद्र की समन्वयक प्रो. बिंदु शर्मा एवं  फार्मेसी प्रिंसिपल डॉ. वैशाली पाटिल ने इस नाट्य प्रतियोगिता को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
विशिष्ट अतिथि एवं निर्णायक मंडल के सदस्य भारत भूषण, सुभाष चंद्र नलवा, सुदेश कुमार जख्मी, डॉ शिवानी सिंह, मिस अनुराधा शर्मा एवं मिस शिवानी शर्मा ने छात्रों के प्रदर्शन की सराहना की। श्री भारत भूषण जी ने विश्वविद्यालय के छात्रों को बिना किसी फीस के मार्गदर्शन करने की घोषणा की।

 

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नाटक का मंचन ऐसा सजीव था कि दर्शकों को ऐसा अनुभव हुआ मानो वे हस्तिनापुर की राजसभा में स्वयं उपस्थित हों। सभा में दुर्योधन, दुशासन, शकुनि और कर्ण की कुटिल मुस्कानों के बीच जब पांडव अपनी पराजय स्वीकारते हैं और द्रौपदी को भरी सभा में अपमानित करने का प्रयास किया जाता है, तब वातावरण शोकमय हो उठता है। मंच पर जब दुशासन द्रौपदी के चीर हरण का प्रयास करता है और द्रौपदी श्रीकृष्ण को पुकारती हैं, तो पूरा सभागार भावनाओं से भर उठता है। दर्शकों की आँखों में भावनाएँ उमड़ने लगती हैं, और जब श्रीकृष्ण दिव्य चमत्कार से द्रौपदी की लाज बचाते हैं, तब पूरा सभागार तालियों से गूंज उठता है।

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मेरठ, जो ऐतिहासिक रूप से महाभारत काल के हस्तिनापुर के समीप स्थित है, इस प्रसंग से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह नाट्य मंचन केवल एक ऐतिहासिक प्रसंग को जीवंत करने का प्रयास नहीं था, बल्कि समाज को यह संदेश देने का एक सशक्त माध्यम था कि नारी का सम्मान सर्वोपरि है। मंचन के दौरान कई दर्शकों की आँखें नम हो गईं, तो कईयों ने इस दृश्य के सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश पर गंभीरता से विचार किया। कार्यक्रम संयोजकों डॉ. अंशु अग्रवाल, डॉ. विजेता गौतम एवं श्रीमती रमिता चौधरी ने इस आयोजन को सफल बनाने में विशेष योगदान दिया।
कार्यक्रम का समापन संयोजक  डॉ वैशाली पाटिल के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन और सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

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