बिजनौर। इस दुनिया में मां जैसा कोई नहीं, यह सिर्फ कहावत नहीं बल्कि सच्चाई है। इसका उदाहरण बिजनौर में उस वक्त देखने को मिला जब एक मां अपने बच्चे को बचाने के लिए तेंदुए से भिड़ गई। इतना ही नहीं मां तब तक लड़ती रही, जब तक उसने बच्चे को बचा नहीं लिया। हालांकि इस दौरान मां को भी चोटें आईं लेकिन वह पीछे नहीं हटी। वह 5 मिनट तक दरांती लेकर तेंदुए से लड़ती रही।इस दौरान उसका 10 साल का बेटा गंभीर घायल हुआ है। जिसे प्राथमिक इलाज के बाद मेरठ रेफर कर दिया गया है।
पूरा मामला नगीना थाना क्षेत्र के जीतपुर गांव का है। जहां ओमप्रकाश की पत्नी सोमवार सुबह करीब 5 बजे घर से गन्ने के खेत में छिलाई करने गई थी। मां के साथ बेटा टिकेंद्र भी था। वहां और लोग भी छिलाई कर रहे थे। तभी वहां अचानक एक तेंदुआ आ गया और उसने टिकेंद्र पर हमला कर दिया।
तेंदुए से लड़ने वाली मां ने बताया, अभी गन्ने की छिलाई का समय चल रहा है। हम लोग रोज सुबह 5 बजे खेत में काम करने जाते हैं। तेज धूप होने तक खेत का काम खत्म करके घर लौट आते हैं। सोमवार सुबह मेरा बेटा सुबह जल्दी उठ गया तो उसे भी साथ में खेत ले गई। वहां गांव के अन्य लोग भी काम कर रहे थे।
मां ने बताया, “मुझे देखकर मेरा बेटा भी दरांती से गन्ने की छिलाई कर रहा था। वह छिलाई करते-करते मुझसे थोड़ा दूर जाकर बैठ गया। तभी पता नहीं कहां से अचानक तेंदुआ आ गया। सब तेंदुए को देखकर चिल्लाने लगे। आवाज सुनकर मैं पीछे मुड़ी तो देखा तेंदुआ मेरे बेटे को खींचकर गन्ने के खेत में ले गया था। वहां पर काम कर रहे सभी लोग मौके से भाग गए थे। कोई भी मेरी मदद के लिए नहीं रुका।
मेरे हाथ में दरांती थी मैं उसी को लेकर अपने बेटे को बचाने के लिए खेत के अंदर घुस गई। थोड़ी दूर पर मुझे बेटे के चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। जब मैं आगे बढ़ी तो देखा तेंदुआ मेरे बेटे को मुंह से दबाए हुए था। मैं दौड़कर बेटे के पास पहुंची।
मैंने दरांती से तेंदुए पर हमला कर दिया। वो मुझे भी पंजे से मारने की कोशिश करने लगा। तभी हमले में एक दरांती उसकी गर्दन पर लग गई। उसके पेट पर भी वार किया। जिसके बाद वो मौके से भाग गया।”
मां ने कहा, “तेंदुए ने बेटे को गर्दन से पकड़ा था। उसकी गर्दन पर गहरा घाव हो गया है। वहां से बहुत खून निकल रहा था। बेटा बेहोश था। उसके पेट, हाथ, पैर पर भी चोट थी। मैं किसी तरह बेटे को गोद में लेकर खेत से बाहर आई। उसके बाद कोई सवारी न मिलने पर मैं पैदल ही बेटे को अस्पताल ले जाने लगी।
थोड़ी दूर चलने पर मुझे एक रिक्शा दिखाई दिया। उसकी मदद से बेटे को अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने उसका इलाज किया। वहीं से परिवार के लोगों को घटना के बारे में बताया।”
‘तेंदुए को देखकर हम लोग भाग गए थे’
वहीं, खेत पर काम करने वाले दूसरे लोगों का कहना है, हमारे सामने तेंदुआ बच्चे को नहीं खींचा था। तेंदुए को देखकर हम लोग मौके से डरकर भाग गए थे। बाद में पता चला कि टिकेंद्र को तेंदुए ने खींच लिया। हम लोग खेत की तरफ वापस जा रहे थे लेकिन तब तक उसकी मां उसको बचा कर वापस ले आई थी।
गांव के लोगों को अलर्ट किया गया
इस मामले में डीएफओ एके सिंह का कहना है, तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया गया है। महिला के अनुसार लड़ाई में तेंदुए को भी चोट आई है। इससे ये अनुमान लगाया जा रहा है कि तेंदुआ बहुत दूर तक नहीं गया होगा। गांव के लोगों को अलर्ट कर दिया गया है। सभी को घर के अंदर रहने के लिए बोला गया है।