शामली। जनपद शामली में बुधवार को राष्ट्रीय जाट महासभा द्वारा संगठन के विस्तार के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम कैराना रोड स्थित एक रेस्टोरेंट में आयोजित हुआ, जिसमें अखिल भारतीय जाट जन जागृति संगठन का राष्ट्रीय जाट महासभा में विलय कर दिया गया।
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इस मौके पर खाप चौधरियों समेत जाट समाज के प्रमुख लोगों ने भी भाग लिया। समाज में दहेज प्रथा, मृत्यु भोज (ब्रह्म भोज) जैसी कुरीतियों को समाप्त करने की पुरज़ोर अपील की गई।
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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय जाट महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सचिन सरोंहा ने कहा कि जाट समाज आज आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ता जा रहा है, ऐसे में समाज के लिए आरक्षण आवश्यक है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उनकी गलत नीतियों के चलते केंद्रीय सेवाओं में जाटों का आरक्षण समाप्त किया गया, जो एक सोची-समझी साजिश है।
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सरोंहा ने चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत, ताऊ देवीलाल और सरदार बादल सिंह को किसानों और समाज के हकों के लिए लड़ने वाले प्रेरणास्रोत बताया और मांग की कि इन तीनों को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए।
इसके साथ ही उन्होंने शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को आधिकारिक रूप से ‘शहीद’ का दर्जा देने की भी मांग की और कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज तक इन्हें वह दर्जा नहीं मिल पाया।
कार्यक्रम में पहलगाम (जम्मू-कश्मीर) में हुए हालिया आतंकी हमले की भी कड़े शब्दों में निंदा की गई। सरोंहा ने सरकार से मांग की कि इस हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों के खिलाफ अब तक की सबसे कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी यह संदेश मिल सके कि भारत में आतंक फैलाने वालों का क्या अंजाम होता है।
उन्होंने कहा कि जाट समाज को अब एक मंच पर आकर अपने हक की लड़ाई मजबूती से लड़नी होगी और इसके लिए संयुक्त जाट मोर्चा के गठन की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
इस अवसर पर समाज के वरिष्ठ नेता, युवा वर्ग और कई सामाजिक संगठन मौजूद रहे।