मेरठ। तीन मंजिला मकान एक झटके में मलबे में तब्दील हो गया। चारों ओर धुएं का गुबार दिखने लगा। तेज आवाज और धमके के कारण दूर तक लोगों के मकान भी दहल गए। कुछ देर तक लोग समझ नहीं पाए कि आखिर हुआ क्या है।
मलबे में दबे लोग किस हाल में हैं, इसका किसी को अंदाजा नहीं था, लोग बस उनकी सलामती की दुआ कर रहे थे।
जाकिर कॉलोनी निवासी नफ्फो के चारों बेटे साजिद, नदीम, शाकिर और नईम भूतल पर डेयरी चलाते हैं। एक बेटा आबिद अपनी पत्नी नसीम और बच्चों के साथ अलग मकान में रहता है।
हादसे से कुछ देर पहले घर से किसी काम से बाहर निकले नईम ने बताया कि घर में उनकी मां नफीसा, भाई साजिद और भाभी सायमा अपने कमरे में आराम कर रहे थे। उनकी बेटी सानिया और रिजा घर में खेल रही थी।
नईम की पत्नी अलीशा (22) अपनी पांच माह की बेटी रिमशा के साथ कमरे में थी। दूसरा भाई नदीम (28) अपनी पत्नी फरहाना (24) के साथ किसी कार्य में व्यस्त था। उनके मामा पप्पू का बेटा सूफियान पांच माह की चचेरी बहन को लेकर घर आया था।
भाई शाकिर और उसकी पत्नी साहिबा किसी काम से घर से बाहर गए हुए थे। तभी अचानक यह हादसा हो गया। पत्नी अलीशा और मासूम बेटी रिमशा समेत अन्य परिजन की सलामती को लेकर चिंतित नईम फफक कर रो पड़ा। मौके पर मौजूद लोगों ने उसे किसी तरह संभाला।