Friday, November 22, 2024

एक दिवसीय सम्मेलन में मेरठ के सुभारती के एनएसएस स्वयंसेवकों ने भाग लिया

मेरठ। नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस और पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने के लिए आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में मेरठ के सुभारती के एनएसएस स्वयंसेवकों ने भाग लिया। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट महासंघ के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि रहे। पीएम मोदी के साथ संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समारोह उपस्थित रहे। कार्यक्रम में पीएम मोदी को देख स्वयंसेवकों का उत्साह दुगना बढ़ गया। एनएसएस स्वयंसेवकों ने पाली भाषा के महत्व को जाना इस अवसर पर स्वामी विवेकानंद सुभारती विशवविद्यालय के एनएसएस स्वयंसेवकों ने पाली भाषा के महत्व और प्राचीनता विषयक जानकारी प्राप्त की।

 

 

 

साथ ही अनेक पाली भाषा के विद्वानों से संपर्क कर इस विषय में विषद सूचना एकत्रित की। इस दौरान लगभग 300 स्वयंसेवकों का दल बौद्ध भिक्षुओं के साथ विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम का साक्षी बना। इस दौरान एनएसएस के कार्यक्रम समन्वयक प्रोफे. (डॉ.) एस.सी.थलेड़ी ने बताया कि एनएसएस के स्वयंसेवकों के लिए आज के इस सम्मेलन में प्रतिभागिता स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज़ के सलाहकार डॉ. हिरो हितो के सहयोग एवं मार्गदर्शन में हुआ।डॉ. थलेड़ी ने आगे कहा कि एनएसएस प्रकोष्ठ द्वारा समय-समय पर स्वयंसेवकों के लिए इस तरह के आयोजनों में भी प्रतिभाग करने का अवसर उपलब्ध कराया जाता है, जिससे की स्वयंसेवक जनजागरूकता के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण विषयों के बारे में भी जान सकें।

 

 

 

 

इस अवसर पर राम प्रकाश तिवारी, शिकेब मजीद, शैली शर्मा, डॉ. विशाल कुमार, निशांत गौरव, पंकज कुमार, डॉ. यशपाल शर्मा, डॉ. आशुतोष व डॉ. अन्नु सिंह आदि व गैर-शिक्षणेत्तर कर्मचारी कपिल गिल के साथ 300 से अधिक एनएसएस स्वयंसेवक उपस्थित रहे। यहां गौरतलब है कि अभिधम्म दिवस भगवान बुद्ध के अभिधम्म की शिक्षा देने के बाद स्वर्ग से अवतरण की याद में मनाया जाता है। वहीं हाल ही में पाली को चार अन्य भाषाओं के साथ शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दिए जाने से इस वर्ष के अभिधम्म दिवस समारोह का महत्व और बढ़ गया है, क्योंकि भगवान बुद्ध की अभिधम्म पर शिक्षाएं मूल रूप से पाली भाषा में उपलब्ध हैं।

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