Thursday, December 19, 2024

किसानों के लिए हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दल्लेवाल के साथ कुछ हुआ तो सरकार जिम्मेदार

नयी दिल्ली- उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि किसानों के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हुए हैं।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर 13 फरवरी से 2024 धरने पर बैठे किसानों से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं। पीठ ने पंजाब सरकार से कहा कि अगर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के साथ कुछ भी अनहोनी होती है तो इसके लिए वह जिम्मेदार होगी। पीठ ने कहा कि डॉक्टर की सलाह के अनुसार श्री दल्लेवाल को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है।

अतुल प्रधान पर भड़के सतीश महाना, बोले- अतुल को सदन से उठाकर बाहर फेंक दो, पूरे सत्र के लिए हुए निष्कासित

अदालत के समक्ष पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा कि किसान अदालत द्वारा नियुक्त समिति से चर्चा करने के लिए अनिच्छुक हैं।

इस पर पीठ ने कहा, “हम स्पष्ट करते हैं कि अदालत के दरवाजे हमेशा खुले हैं। किसानों द्वारा सीधे या उनके अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से कोई भी सुझाव या मांग पत्र रिकॉर्ड में लाया जा सकता है। सभी हितधारकों के साथ चर्चा के साथ इस पर उचित विचार किया जाएगा।”

मुजफ्फरनगर के लद्धावाला में भी मिला शिवमंदिर, नहीं होती अब पूजा,मुस्लिम करते है सफ़ाई

अदालत के समक्ष श्री सिंह ने यह भी कहा कि पिछले 20 दिनों से अनशन पर बैठे दल्लेवाल ने मेडिकल जांच से इनकार कर दिया है। उनकी हालत ठीक है, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती करने का सुझाव दिया है।

इस पर पीठ ने सिंह से कहा, “मतभेद हो सकते हैं, लेकिन आंदोलन करने के लिए उनका स्वस्थ होना जरूरी है। एक निर्वाचित सरकार और एक संवैधानिक अंग के रूप में आप उन्हें कुछ भी नहीं होने दे सकते।”

मुज़फ्फरनगर में किसान दिवस में हुआ हंगामा, बोले किसान- अफसर समस्या सुनते है, हल नहीं करते !

पीठ ने कहा कि वह सभी हितधारकों को यह समझाने की कोशिश करेगी कि कुछ किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को करेगी।

पीठ ने अदालत द्वारा नियुक्त उच्चस्तरीय समिति से 13 दिसंबर को कहा था कि वह प्रदर्शनकारी किसानों से बात करे और उन्हें अपना विरोध अस्थायी रूप से स्थगित करने या पंजाब-हरियाणा सीमा पर राजमार्ग से इसे स्थानांतरित करने के लिए राजी करे।

मुजफ्फरनगर में औचक निरीक्षण में ड्यूटी से गैरहाजिर मिले तीन कर्मचारी,चेयरमैन ने काटा एक दिन का वेतन

शीर्ष अदालत ने कहा था कि किसानों को विरोध करने का संवैधानिक अधिकार है, जिसे ‘गांधीवादी दर्शन’ की तर्ज पर शांतिपूर्ण तरीके से किया जा सकता है।

पीठ ने तब केंद्र और पंजाब सरकार दोनों के प्रतिनिधियों को श्री दल्लेवाल से तत्काल मिलने, चिकित्सा सहायता प्रदान करने और उन्हें हड़ताल समाप्त करने के लिए मनाने का निर्देश दिया था।

आने वाली पीढियों को बताने के लिए निकोबार द्वीप का नाम देश के नायकाें पर रखा: मोदी

गौरतलब है कि कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत विभिन्न मांगों को लेकर किसान कई महीने से लगातार आंदोलन कर रहे हैं।

सुरक्षा बलों द्वारा रोके जाने के बाद किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।

मुज़फ्फरनगर में भाकियू तोमर ने तहसील में दिया धरना, किसानों की मांगों को मजबूती से हटाया

शीर्ष अदालत ने गत 02 सितंबर को एक अलग मामले में सुनवाई करते हुए किसानों से बातचीत करने के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति नवाब सिंह की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था।

किसान अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर 13 फरवरी से धरना दे रहे हैं। एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा किसानों ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को

सहारनपुर पहुंचे अखिलेश यादव, मस्जिदों में खुदाई के सवाल पर भाजपा सरकार को घेरा !

लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांगें कर रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने गत 02 दिसंबर को भी कहा था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई भी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर सकता है, लेकिन लोगों को असुविधा न हो।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,303FansLike
5,477FollowersFollow
135,704SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय