Friday, May 9, 2025

फाल्गुन माह भगवान शिव की कृपा प्राप्ति का विशेष माह है- पंडित संजीव शंकर

 

 

मुजफ्फरनगर। महामृत्युंजय सेवा मिशन के संयोजक पंडित संजीव शंकर ने बताया कि फाल्गुन माह भगवान शिव की कृपा प्राप्ति का विशेष माह है, शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव ब्रह्मा और विष्णु की विवाद के समाप्ति के हेतु उनके मध्य में ज्योति रूप में प्रकट हुए थे इसलिए इसको महाशिवरात्रि के रूप में बनाने की परंपरा है,भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग है प्रतिदिन के हिसाब से एक ज्योतिर्लिंग की कथा हम आपको सुना रहे हैं।

 

मुजफ्फरनगर-शामली को NCR से हटाओ, गन्ना मूल्य बढ़ाओ, इकरा हसन ने लोकसभा में शेर सुनाकर उठाई अपनी मांग

 

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्‌। उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम्‌ ॥1॥ परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्‌। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥

नया आयकर विधेयक गुरुवार को संसद में किया जा सकता है पेश, 64 साल पुराना अधिनियम में होगा बदलाव

 

12 ज्योतिर्लिंगों के श्लोक से सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है।मंदिर गुजरात के वेरावल बदंरगाह से कुछ ही दूरी पर प्रभास पाटन में स्थित है।

 

 

अनिल विज ने हाईकमान को दिया नोटिस का जवाब, बोले मीडिया में कैसे लीक हुआ नोटिस, होनी चाहिए जांच

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा के अनुसार

 

प्राचीन समय में दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 कन्याओं का विवाह चंद्रदेव के साथ किया था। दक्ष की सभी कन्याओं में से रोहिणी सबसे सुदर थी। चंद्र को सभी पत्नियों में से सबसे अधिक प्रेम रोहिणी से ही था।

 

 

इस बात से दक्ष की शेष 26 पुत्रियों को रोहिणी से जलन होने लगी। जब ये बात प्रजापति दक्ष को पता चली तो उसने क्रोधित होकर चंद्रमा को धीरे-धीरे खत्म होने का शाप दे दिया। दक्ष के शाप से चंद्रदेव धीरे-धीरे खत्म होने लगे।
इस शाप से मुक्ति के लिए ब्रह्माजी ने चंद्र को प्रभास क्षेत्र यानी सोमनाथ में शिवजी की प्रसन्नता के लिए तपस्या करने को कहा। चंद्र ने सोमनाथ में शिवलिंग की स्थापना करके उनकी तपस्या शुरू कर दी।

 

 

चंद्रमा के कठोर तप से प्रसन्न होकर शिवजी वहां प्रकट हुए और चंद्र को शाप से मुक्त करके अमरत्व प्रदान किया। इस वजह से चंद्रमा की कृष्ण पक्ष में एक-एक कला क्षीण (खत्म) होती है, लेकिन शुक्ल पक्ष को एक-एक कला बढ़ती है और पूर्णिमा को पूर्ण रूप प्राप्त होता है। शाप से मुक्ति मिलने के बाद चंद्रदेव ने भगवान शिव को माता पार्वती के साथ यहीं रहने की प्रार्थना की। तब से भगवान शिव प्रभास क्षेत्र यानी सोमनाथ में ज्योतिर्लिंग के रूप में वास करते हैं। एक अन्य

 

कथा के अनुसार

सती माता के इच्छा से सोमनाथ ने अपने महायज्ञ का त्याग कर दिया और सती माता के सामने प्रकट हो गए। यहां पर भगवान शिव ने सती माता की अपनी स्तुति की और उन्हें आशीर्वाद दिया। यह कथा भगवान शिव और सती माता के प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, जिससे सोमनाथ मंदिर का नाम प्रसिद्ध हुआ।

इसी कारण यहां स्त्रियों के मान सम्मान की सुरक्षा का विशेष आशीर्वाद मां भगवती से प्राप्त होता है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

80,337FansLike
5,552FollowersFollow
151,200SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय