हाथरस। कांग्रेस नेता राहुल गांधी गुरुवार को हाथरस रेप पीड़िता के परिवार से मिले। उन्होंने 45 मिनट तक परिवार से बातचीत की। राहुल ने अचानक दौरे का प्लान बनाया। सुबह 7 बजे दिल्ली से हाथरस के लिए निकले।
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इसी साल, 2 जुलाई को लड़की के पिता ने राहुल को चिट्ठी लिखी थी। इसमें कहा था- 4 साल से कैद में हूं। न कोई रोजगार है। न ही रोजगार के लिए कोई बाहर जा पा रहा है। सरकार ने वादे भी पूरे नहीं किए। हाथरस में 4 साल पहले 14 सितंबर 2020 को दलित युवती के साथ दरिंदगी हुई थी। 29 सितंबर 2020 को युवती ने दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में दम तोड़ दिया था। पुलिस ने घरवालों की सहमति के बिना युवती का रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया था। मामला देशभर में सुर्खियों में रहा।
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यूपी पुलिस की जांच पर सवाल खड़े हुए तो इसकी जांच CBI को सौंपी गई थी। इसे लेकर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा- राहुल हताश हैं। हाथरस मामले की जांच CBI ने की है। मामला कोर्ट में चल रहा है। राहुल यूपी को अराजकता और दंगों की आग में झोंकना चाहते हैं। पीड़ित लड़की के भाई ने बताया कि एसडीएम हाथरस नीरज शर्मा कल मेरे घर की पैमाइश करने आए थे। अभी तक हमारी दो मांगें पूरी नहीं हुई। पहली- हाथरस के बाहर एक घर, दूसरी परिवार के एक सदस्य को नौकरी। इस मामले की जानकारी राहुल गांधी को मिली है।
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इसी को लेकर वह हमसे मिलने आ रहे हैं। जुलाई में लड़की के पिता ने राहुल गांधी को लेटर लिखा था। इसमें कहा था कि सरकार ने जो वादे किए थे, उसे पूरे नहीं किए। परिवार CRPF की कड़ी सुरक्षा में कैद है। न कोई रोजगार है। न ही रोजगार के लिए कोई बाहर जा पा रहा है। घर में 3 बेटियां हैं, उनकी पढ़ाई-लिखाई तक नहीं हो पा रही। परिवार की मानसिक स्थिति बहुत ही खराब चल रही है। 14 सितंबर, 2020 को हुई घटना बहुत ही भयानक थी, जिसमें मेरी बेटी के साथ गैंगरेप हुआ। उसके रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई थी। जीभ काट दी गई।
मेरी परमिशन के बिना प्रशासन ने रात में बेटी के शव को जला दिया। आज तक मुझे और मेरे परिवार को यह तक नहीं पता है कि बॉडी किसकी जलाई गई थी। हमारे केस में CBI जांच हुई थी। इसमें चारों आरोपी दोषी थे। मरने से पहले बेटी ने चारों आरोपियों का नाम बताया था। घटना के बाद बेटी का मेडिकल नहीं कराया गया। CBI ने अपनी चार्जशीट में चारों को दोषी बताया था, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने 3 आरोपियों काे ही SC-ST एक्ट में सजा सुनाई। सीएम योगी ने परिवार को घर और एक सदस्य को नौकरी देने लिखित आश्वासन दिया था। हाईकोर्ट लखनऊ ने नौकरी और घर देने के संबंध में यूपी सरकार को आदेश दिया था,लेकिन आदेश का पालन नहीं किया गया।