मुजफ्फरनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी दौरे के दौरान किसानों के लिए ‘प्रधानमंत्री सम्मान निधि’ योजना की 17वीं किस्त जारी की थी, इस पर देशभर के किसानों ने हर्ष प्रकट किया था। किसान भाइयों ने सरकार के इस कदम की तारीफ की थी। कुछ किसानों ने इस योजना के अंतर्गत मिलने वाली राशि को अपर्याप्त बताकर इसे बढ़ाए जाने की भी इच्छा जताई थी।
इस बीच, किसान नेता राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री द्वारा किसान सम्मान निधि की किस्त जारी करने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। राकेश टिकैत ने कहा, “निसंदेह प्रधानमंत्री द्वारा किसान सम्मान निधि की किस्त जारी करना बेहतर कदम है, लेकिन मैं एक बात पूछना चाहूंगा कि प्रधानमंत्री को जरा किसानों के पास जाकर उनसे पूछना चाहिए कि उन्हें क्या दिक्कत है? क्या प्रधानमंत्री किसानों के पास गए? उनकी समस्याओं के बारे में उनसे पूछा? सरकार को किसानों के हितों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।“ बता दें कि वाराणसी दौरे के दौरान जनसभा को संबोधित करने के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि हमारा जोर मोटे अनाजों पर है। इस पर राकेश टिकैत ने कहा, “चलिए, अच्छी बात है।
आप मोटे अनाजों पर ध्यान दे रहे हैं, लेकिन मैं यहां एक बात प्रधानमंत्री से कहना चाहूंगा कि मोटे अनाज एमएसपी से कम कीमत पर न बिके। बिहार में मक्का उत्पादन करने वाले किसानों को आठ हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ और यह इसलिए हुआ क्योंकि एमएसपी से कम कीमत पर किसानों की फसलें खरीदी गईं। अगर किसानों को उचित दाम मिले तो किसान उत्पादन करके सरकार को देंगे। इसके बाद अगर आप उसे बाहर भेजना चाहते हैं, तो निसंदेह भेज सकते हैं, कोई दिक्कत नहीं है। आप किसानों को उनकी फसल पर उचित कीमत दिलाएं, अगर आप ऐसा करते हैं, तो इससे आपकी भी जरूरतों की पूर्ति होगी और विदेश की भी जरूरतें पूरी होंगी। किसी को भी कोई समस्या नहीं आएगी।“
उन्होंने कहा, “पहले हमारे यहां बड़े पैमाने पर दाल का उत्पादन होता है, लेकिन आवारा पशु उसे नष्ट कर देते हैं, इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। हम बाहर से दाल खरीदने के लिए तैयार हैं। उन्हें उचित कीमत अदा करने के लिए तैयार हैं, लेकिन अपने किसानों पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। छुट्टा पशु सबसे ज्यादा नुकसान दलहन का करते हैं।“ राकेश टिकैत ने कहा, “मैं यहां आपको एक बात कहना चाहता हूं कि हम लोग अभी तक आत्मनिर्भर नहीं हुए हैं। बाहर से तेल आता है। दालें बाहर से आती हैं। वहीं अपने किसानों द्वारा उत्पादित की दालें एमएसपी से भी कम कीमत पर बिकती हैं।
चना सहित अन्य दालें कम कीमत पर बिकती हैं। कई बार इनकी खरीद ठीक तरीके से नहीं हो पाती हैं, इससे हमारे किसान भाइयों को आर्थिक मोर्चे पर दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है। मैं आपको बता दूं कि किसानों को अगर उचित कीमत मिल जाए तो वो कुछ भी पैदा कर सकते हैं। उनके लिए कुछ भी कठिन नहीं है।“
उन्होंने कहा, “अगर हमारे किसान भाइयों द्वारा उत्पादित की गई फसल विदेश जाएगी तो यह अच्छी बात है, लेकिन मैं कहता हूं कि हमारे किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम मिले। यह नहीं कि आप औने-पौने दाम में किसानों से उनकी फसलों को खरीदकर उसे बाहर बेचें। हालांकि, अभी-भी हमारे किसानों द्वारा उत्पादित की गई कई फसलें बाहर जा रही हैं।“