Tuesday, November 5, 2024

राकेश टिकैत ने किसान विरोधी केंद्र और राज्य सरकारों को दी आंदोलन की चेतावनी

हरिद्वार। भारतीय किसान यूनियन के चार दिवसीय हरिद्वार किसान कुभ के समापन अवसर पर आज मंगलवार को हुई महापंचायत में सौ दिन के एजेंडे पर कार्यकर्ताओं को संघर्ष करने की रणनीति अपनाने का आह्वान किया गया। पंचायत में 21 प्लस 5 सूत्री प्रस्ताव पारित किए गए, जिसमें युवाओं की मांगों को प्रमुखता से शामिल किया गया।

 

पंचायत में राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि संगठन को मजबूत करने की जरूरत है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारें किसानों की सुन ही नहीं रहीं। इसके लिए किसान हितों की रक्षा के लिए देश में एक बड़ा आंदोलन करना होगा। उन्होंने कांवड़ यात्रा के बाद उत्तराखंड में भी आंदोलन करने के लिए कार्यकर्ताओं को तैयार रहने को कहा। वहीं 2025 तक देशभर में किसानों के लिए 25 किसान भवन बनाने का भी लक्ष्य रखा।

 

उन्होंने कहा कि यह किसान कुंभ ऐसे समय हो रहा है जब केंद्र में एनडीए गठबंधन की सरकार तीसरा कार्यकाल शुरू कर रही है। केंद्र सरकार ने किसानों के स्तर को उठाने के लिए अपने घोषणापत्र में तमाम तरह के वायदे भी किए हैं। भाकियू हरिद्वार किसान कुंभ के बहाने केंद्र सरकार को वह वायदे भी याद दिलाना चाहती है साथ ही तीन कृषि बिलों की वापसी के बाद एमएसपी गारंटी कानून के लिए केंद्र सरकार की बाट जोह रहा किसान यह भी आशा रखता है कि इस दिशा में उचित कदम उठाए जाएंगे। भूमि अधिग्रहण कानून और भी मजबूती के साथ किसान हितों के लिए बनाया जाएगा।

 

जल-जंगल-जमीन बचाने के लिए एकजुटता दिखाते आदिवासियों की भी सरकार सुध लेगी। केरल का नारियल किसान हो या समुद्री तटों पर मछुआरों के हितों की रक्षा या फिर चार साल के लिए अग्निवीर योजना के तहत चयनित युवाओं का भविष्य फिर से संवारने की योजना, इस पर सबसे पहले संसद के सत्र में विचार कर इसे उपयोगी बनाया जाएगा।
राकेश टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा से भी विचार विमर्श किया जाएगा। और भाकियू की ओर से यह प्रस्ताव रखा जाएगा कि केंद्र और राज्य सरकारों के किसानों से संबंधित विभागों से बातचीत की जाए और किसानों की समस्याओं को हल कराने की दिशा में पहल की जाए। यदि सरकारें नहीं मानती तो उनके विरुद्ध मोर्चा खोला जाएगा।

 

उन्होंने पंचायत स्थल की राज्य सरकार पर भी किसानों की अनदेखी का आरोप लगाया और राज्य के किसानों से कांवड़ यात्रा के बाद सरकार से दो-दो हाथ करने की घोषणा भी मंच से कर दी। वहीं, हरियाणा व अन्य प्रदेशों के मुखियाओं से अपने-अपने राज्य में किसान आंदोलन खड़ा करने का आह्वान किया।

 

समापन के मौके पर राकेश टिकैत ने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को अनुशासन का पाठ पठाया और खेती-किसानी को नए तरीके से करने के भी गुर बताए। महिला पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया वहीं यूनियन की शुरुआत से जुड़े परिवारों के प्रति सम्मानभाव रखने उन्हें संगठन में और सक्रिय करने के भी निर्देश दिए गए। वहीं प्रत्येक पदाधिकारी को कम से कम 25 कार्यकर्ता जोड़ने का संकल्प दिलाया।

 

समापन के अवसर पर सॉरी कुमार साहू को उड़ीसा का प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया गया। मंच का संचालन यूपी के महासचिव बिजेंद्र सिंह यादव ने किया और अध्यक्षता बतीसा खाप के बाबा शोकेंद्र सिंह ने की। इस मौके पर राष्ट्रीय महासचिव राजवीर सिंह जादौन, उपाध्यक्ष बलराम नंबरदार, घनश्याम वर्मा, हरियाणा के युवा प्रदेश अध्यक्ष रवि आजाद, भाकियू उपाध्यक्ष सोनू मालपुरिया, मध्य प्रदेश के अध्यक्ष अनिल यादव, यूपी युवा अध्यक्ष अनुज सिंह आदि मौजूद रहे।

पंचायत में 26 सूत्री प्रस्ताव इस प्रकार रहे

1- एमएसपी गारंटी कानून आज की सबसे अधिक जरूरत है। केंद्र सरकार का तीसरा कार्यकाल शुरू हो रहा है ऐसे में केंद्र सरकार इस मामले में नई कमेटी का गठन कर इस कानून को तत्काल अमलीजामा पहनाए।
2- फसलों के उचित लाभकारी मूल्य के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को केंद्र सरकार लागू करे। इसके लिए सी2+50 के फामूले को लागू किया जाए।
3- देश में एक अलग से किसान आयोग का गठन किया जाए।
4- गन्ने का मूल्य यूपी समेत अन्य राज्यों में भाजपा के शासनकाल में नाममात्र का बढ़ाने का काम किया गया है, जिससे किसान संकट में है। कम से कम 400 रुपये कुंतल गन्ने का भाव किया जाए और गन्ना बकाया डिजीटल भुगतान की तुरंत व्यवस्था हो।
5- कई राज्यों में किसानों को बिजली मुफ्त में देने का काम राज्य सरकारें कर रही हैं। बाकी राज्यों में भी किसानों को मुफ्त बिजली दी जाए। यूपी में ट्यूबवेलों पर बिजली मीटर लगाने तत्काल बंद हों। सरकार इस पर स्पष्टीकरण जारी करे।
6- सबसे विकराल समस्या किसानों के सामने छुट्टा पशुओं को लेकर है। सरकार ग्राम पंचायत स्तर पर सरकारी परती की जमीनों पर अस्थाई पशुशालाएं बनाए ताकि किसानों को इससे खेती के अलावा जान-माल की सुरक्षा भी हो सके।
7- छोटी जोत के किसानों के लिए अलग से योजना बनाई जाए। उनके परिवारों के स्वास्थ्य और उनके बच्चों की शिक्षा का भी अलग से उचित प्रबंध हो। छोटी जोत के किसानों को उबारने के लिए कृषि ऋण को ब्याजमुक्त करने का काम किया जाए। किसान क्रेडिट कार्ड पर केवल 1 फीसदी की दर से ब्याज लगाया जाए और उसकी मियाद कम से कम पांच वर्ष की जाए।
8- किसान परिवारों को स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत लाया जाए और कर्मचारियों की तर्ज पर कम से कम पांच लाख का बीमा एक रुपये के प्रीमियम पर किया जाए। उनकी सामाजिक सुरक्षा को पुख्ता किया जाए। हर गांव को स्वच्छ जल योजना के दायरे में लाया जाए।
9- खाद-बीज व कीटनाशक के क्षेत्र समेत अन्य क्षेत्रों में किसानों के नाम पर उद्योगों को दी जा रही सब्सिडी सीधे किसानों को दी जाए।
10- जल स्तर को ऊपर उठाने के लिए नदियों को आपस में जोड़ने की योजना का विस्तार किया जाए। वाटर रिचार्ज की स्कीम को धरातल पर उतारा जाए। इसके लिए नदियों पर चेकडेम बनाने के साथ उनकी साफ-सफाई भी कराई जाए। छोटी नहरों में रिचार्ज कूप योजना को लागू किया जाए।
11- सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए रूफ टॉप सब्सिडी दी जाए और किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाए जिससे बिजली पर गांवों की निर्भरता कम हो सके।
12- मंडी व्यवस्था को और सुदृढ करते हुए नगदी फसलों को खरीदने के लिए किसान ग्रुपों को बनाने और उनको साधन मुहैया कराने में सरकार को पहल करनी चाहिए। बिहार समेत बाकी राज्यों खासकर उत्तर-पूर्व भारत के राज्यों में मंडियों को मजबूर बनाया जाए ताकि किसान के साथ स्थानीय लोगों को खाने के लिए सस्ता अनाज मिल सके।
13- सबसे प्रमुख मांग के तहत खेती को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से अलग किया जाए। खेती व्यापार नहीं है यह भारत की जीवन पद्धति का एक हिस्सा है। इसे व्यापार की वस्तु न बनाया जाए।
14- मछ़ुआरों के लिए भी सब्सिडी की व्यवस्था केंद्र सरकार और इच्छाशक्ति के साथ लागू करे और उनके परिवारों की स्वास्थ्य-शिक्षा को मुफ्त कर उनकी बसावट को भी प्राथमिकता में लाया जाए। विकसित देशों के दबाव में आकर मछुआरों को सब्सिडी से वंचित किए जाने के मसौदे पर कतई हस्ताक्षर न किए जाएं।
15- एनजीटी के नियमों में किसानों के लिए ढील देने का काम किया जाए। कृषि में काम आने वाले यंत्रों व साधनों को लेकर विशेष योजना के अंतर्गत समय सीमा में छूट देने का प्रावधान किया जाए।
16- प्राइवेट और कॉमर्शियल वाहनों को चाहे वह किसान के ही क्यों न हो, अलग-अलग वर्गों में विभाजित कर किलोमीटर के हिसाब से उनकी मियाद की गारंटी को निर्धारित किया जाए।
17- राजस्थान की ईस्टर्न कैनाल परियोजना को केंद्रीय योजना के अंतर्गत लाया जाए क्योंकि यह राजस्थान के 13 जिलों की जीवन पद्धति को प्रभावित करेगी।
18- पहाड़ी राज्यों में पहाड़ी कृषि नीति के तहत स्थानीय संसाधनों और बाजार व्यवस्था को मजबूर करने का काम किया जाए। वहीं देशभर में फैले पारेषण लाइनों के जाल से किसानों को हो रहे नुकसान की भरपाई की जाए और इससे प्रभावित खेती का मुआवजा सीधे किसानों को दिया जाए।
19- पहाड़ी राज्यों के लोगों का पलायन रोकने के लिए रोजगार की व्यवस्था पुख्ता हो। पशुपालन, बागवानी, औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार आर्थिक मदद और प्रशिक्षण की व्यवस्था करे।
20- आदिवासी इलाकों में जल-जंगल-जमीन को बचाने के लिए चल रहे आंदोलनों से सबक लेते हुए केंद्र व राज्य सरकारें आदिवासियों के कल्याण के लिए योजनाओं को धरातल पर उतारें और उन्हें उस जमीन का मालिकाना हक दिलाएं।
21- भूमि अधिग्रहण की नीति को किसानों के अनुकूल बनाया जाए। गांवों के उजड़ने की कीमत पर उन सभी ग्रामीणों के उत्थान के लिए विशेष योजना बनें साथ ही बाजार भाव से जमीनों के मुआवजे के भुगतान की व्यवस्था की जाए।

युवाओं के लिए विशेष प्रस्ताव

मौजूदा हालात में देश का युवा हताश है। न उसके पास तकनीकी ज्ञान है और न रोजगार। खेती से वह लगातार विमुख हो रहा है। अग्निवीर जैसी योजनाओं से वह आहत है और भर्ती परीक्षाओं के बार-बार कैंसिल होने से दुखी भी। इसलिए भारतीय किसान यूनियन युवा किसानों के लिए अलग से प्रस्ताव पास करती है-

1- अग्निपथ योजना से मात्र चार साल बाद चयनित में से 75 फीसदी जवानों की छंटनी से देश के युवा बेरोजगार होंगे। उनके भविष्य और देश की उन्नति के लिए युवाओं को देश की अन्य एजेंसियों जैसे पुलिस, अर्द्धसैनिक बलों में प्राथमिकता के आधार पर अनिवार्य तौर पर चयनित किया जाए। साथ ही चयन न होने तक की दिशा में उन्हें बेरोजगारी भत्ता भी दिया जाए।
2- देश में युवा आयोग का गठन हो और उसे संवैधानिक दर्जा दिया जाए। युवा आयोग को युवाओं की शिकायत का निपटारा समय से करने की अनुमति दी जाए। बार-बार भर्ती परीक्षाओं में धांधली रोकने के लिए केंद्र कड़े कदम उठाए। इस इस दौरान आयुसीमा पार कर चुके युवाओं को इसका लाभ दिलाया जाए।
3- युवा किसानों को किसानी से संबंधित कुटीर व लघु उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए और दलालों से अलग रखते हुए उनकी फाइलें समय सीमा में निपटाई जाएं। पचास या सौ युवाओं के ग्रुप बनाकर इलाके वार उनको फसलचक्र के साथ खेतों पर अनाज के साथ फलों की प्रोसेसिंग के लिए सब्सिडी दी जाए। कृषि को स्कूल स्तर से लेकर हर एक माध्यम के विद्यालयों में विषय के रूप में पढ़ाया जाना अनिवार्य किया जाए।
4- युवा किसानों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए पंचायत स्तर पर स्टेडियम (खेल के मैदान) विकसित कर उनकी समितियों को ही रखरखाव की जिम्मेदारी सौंपी जाए। युवक मंगल दल जैसे मॉडल के माध्यम से उनको प्रोत्साहन दिया जाए।
5- शिक्षित युवतियों के लिए महिला समूह का गठन किया जाए। बाकी प्रदेशों में लागू की जाने वाली योजनाओं के तहत बाकी प्रदेशों में भी उस मॉडल को लागू किया जाए।

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