Saturday, May 18, 2024

आरबीआई की एमपीसी बैठक 6 फरवरी से, रेपो दर में 0.25 फीसदी इजाफा संभव

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नई दिल्ली/मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की 3 दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक समीक्षा बैठक सोमवार, 6 फरवरी से शुरू होगी। रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर निर्धारण करने वाली एमपीसी की समीक्षा बैठक का निर्णय 8 फरवरी को आएगा। रिजर्व बैंक रेपो दर में एक बार फिर 0.25 फीसदी तक की वृद्धि कर सकता है। एमपीसी की बैठक हर दो महीने में होती है।

आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक अपने नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर आने वाले दिनों में कुछ हद तक उदार रूख अपना सकता है। खुदरा महंगाई दर में नरमी के संकेत और फेडरल रिजर्व के प्रमुख ब्याज दरों की बढ़ोतरी की गति धीमा करने से ऐसे संकेत मिल रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि आरबीआई द्विमासिक एमपीसी की बैठक में रेपो दर में 0.25 फीसदी की मामूली इजाफा कर सकता है। जानकारों की माने तो इसके बाद पूरे साल नीतिगत ब्याज दर बढ़ोतरी का अनुमान नहीं है।

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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास एमपीसी की द्विमासिक समीक्षा बैठक के बाद 8 फरवरी को नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी का ऐलान कर सकते हैं। आरबीआई ने पिछले साल मई से दिसंबर तक महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए रेपो दर में अभी तक 2.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। दरअसल रिजर्व बैंक को रेपो दर में यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में आए व्यवधान की वजह से करनी पड़ी।

आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दर में पिछले साल मई से अभी तक पांच बार बढ़ोतरी कर चुका है। रिजर्व बैंक ने बीते साल दिसंबर महीने में नीतिगत ब्याज दर रेपो दर में 0.35 फीसदी का इजाफा किया था। केंद्रीय बैंक ने इससे पहले तीन बार रेपो दर 0.50 फीसदी तक बढ़ाई थी। चालू वित्त वर्ष की पहली एमपीसी बैठक अप्रैल में हुई थी, जिसमें आरबीआई ने रेपो दर को 4 फीसदी पर स्थिर रखा था, लेकिन 2 और 3 मई को आपात बैठक बुलाकर रिजर्व बैंक ने रेपो दर में 0.40 फीसदी का इजाफा किया था। इस तरह रेपो दर 4 फीसदी से बढ़कर 6.25 फीसदी पर पहुंचा गया है।

उल्लेखनीय है कि रेपो दर में बढ़ोतरी से बैंकों के लिए आरबीआई से पैसा लेना महंगा हो जाता है। इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है। रेपो दर में इजाफे के बाद बैंक भी ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देते हैं। फिलहाल होम लोन की ब्याज दरें 8.50 फीसदी से ऊपर है। जानकारों का कहना है कि एक बार फिर नीतिगत ब्याज दर बढ़ने से होम लोन और महंगा होने की आशंका है।

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