मेरठ। प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता के नेतृत्व में मेडिकल कॉलेज मेरठ नित नई-नई ऊँचाइयाँ छू रहा है। इसी क्रम में मेडिकल कॉलेज मेरठ के अस्थि रोग विभाग में पहली बार दूरबीन विधि द्वारा कंधे के “रोटेटर कफ” की सर्जरी की गई। मरीज़ आनन्द (बदला हुआ नाम) उम्र 40 वर्षीय निवासी बुलंदशहर की पिछले माह चोट लगने के कारण कंधे की “रोटेटर कफ” नामक लिगामेंट टूट गई थी।
मरीज़ ने बहुत जगह दिखाने के बाद मेडिकल कॉलेज मेरठ के अस्थि रोग विभाग के ऑर्थोपैडिक एवं स्पोर्ट्स इंजरी विशेषज्ञ डॉ कृतेश मिश्रा को ओ०पी०डी० में संपर्क किया। जिसके पश्चात मरीज़ को भर्ती कर विस्तृत जांचों के बाद, डॉ मिश्रा की टीम ने मरीज़ की दूरबीन के माध्यम से कंधे के फटे लिगामेंट की सफल सर्जरी की। इस प्रकार की तकनीकी रूप से जटिल सर्जरी मेरठ मेडिकल कॉलेज में पहली बार की गई है।
डॉ मिश्रा का कहना है कि रोटेटर कफ कंधे की मांसपेशियों और लिगामेंट का एक समूह है, जो शोल्डर जॉइंट के ऊपर कफ (cuff) बनाता है। यह मांसपेशियां और लिगामेंट कंधे के जोड़ को गतिशीलता प्रदान करती हैं। जब लिगामेंट अत्यधिक दबाव या चोट के कारण फट जाता है, तो इसे “रोटेटर कफ टियर” कहते हैं।
रोटेटर कफ की चोट की समस्या ज्यादातर उन लोगों में होती है जो लगातार अपने कंधों पर दबाव डालते हैं। उदाहरण के तौर पर पेंटर, लकड़ी का काम करने वाले और क्रिकेट या टेनिस खिलाड़ी आदि। रोटेटर कफ की समस्या उम्र बढ़ने के साथ टिश्यू के डिजनरेशन के कारण भी हो सकती है। दूरबीन विधि (आर्थ्रोस्कोपी) द्वारा रोटेटर कफ रिपेयर सर्जरी आम-तौर पर दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में होती है।
इस क्रम में ऑर्थोपैडिक विभागाध्यक्ष डॉ टोंक का कहना है कि इस प्रकार की सर्जरी विभाग के लिये एक उपलब्धि है एवं इसकी शुरुआत से आमजन को काफी लाभ होगा। उपरोक्त ऑपरेशन में अस्थि रोग विभाग के डॉ नमन, डॉ अभिषेक एवं एनेस्थेसिया विभाग के डॉ योगेश माणिक एवं डॉ प्रमोद मौजूद रहे।