उत्तरकाशी। उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है। यहां के कण-कण में भगवान का वास है। सोमवार को सिलक्यारा टनल के बाहर बौखनाग मंदिर के ठीक पीछे से अचानक पानी रिसने लगा था, जिसने देखते ही देखते भगवान शिव की आकृति का रूप ले लिया। वहां मौजूद लोगों ने अपने शीश उसके सामने झुका लिए।
इस दृश्य को देखने वालों का मानना है कि टनल में फंसे मजदूरों की रक्षा करने के लिए स्वयं भोलेनाथ आए हैं। इसकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हैं।
दरअसल, बौखनाग मंदिर को सुरंग निर्माण से पहले कंपनी ने हटा दिया था। जिसके बाद सिलक्यारा में टनल हादसा हुआ। इस हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान फिर से बौखनाग देवता का एक छोटा सा मंदिर स्थापित किया। जिसके बाद मलबे में से एक 56 इंच का पाइप आर-पार हो गया था। उसके बाद टनल में फंसे 41 मजदूरों का पहला वीडियो सबके सामने आया था। इस मंदिर के स्थापित होने के बाद ही 47 मीटर की हॉरिजोंटल ड्रिलिंग संभव हो पाई।
बौखनाग मंदिर के अंदर भगवान नागराज की मूर्ति है, जो वहां के कुल देवता माने जाते हैं।
इस मंदिर के स्थापित होने के बाद यहां रोज विधि-विधान से पूजा की जाती है। यहां तक कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी टनल में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लेने आते हैं तो सबसे पहले मंदिर में पूजा करते हैं। यहां केंद्रीय मंत्री वीके सिंह, अर्नोल्ड डिस्क और क्रिस कूपर भी पूजा-अर्चना कर चुके हैं।