Friday, April 18, 2025

इस साल नहीं बढ़ेगा गन्ना मूल्य, कृषि मंत्री के बयान से नाराज हुए राकेश टिकैत, कहा – ‘यह निराशाजनक’

मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने 26 नवंबर को बुलंदशहर में कहा था कि गन्ना समर्थन मूल्य हर साल नहीं बढ़ाया जाता। हमने इसे 2023 में ही बढ़ाया था। इस पर किसान नेता राकेश टिकैत ने निराशा व्यक्त की है।

दिल्ली में आप विधायक नरेश बालियान गिरफ्तार, फिरौती मांगने का ऑडियो क्लिप आया सामने

राकेश टिकैत ने मुजफ्फरनगर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “यह बहुत दुखद है और इससे गन्ने के किसानों को परेशानी हो रही है। अगर मंत्रियों के ऐसे बयान आते हैं, तो लोगों को निराशा होती है। सरकार ने गन्ने का मूल्य 400 रुपये तय किया था, जबकि हमारी मांग 500 रुपये की थी।

सर्राफा बाजार में तेजी से महंगा हुआ सोना, चांदी की भी बढ़ी चमक

हमने कहा था कि 400 रुपये की बजाय 450 रुपये मिलना चाहिए, लेकिन सरकार ने इसे मानने से इनकार कर दिया। पिछले साल का गन्ना भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। कई चीनी मिलों में लोगों का पिछला पैसा अटका हुआ है। हालांकि, लखनऊ में सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। इससे भुगतान में थोड़ा फर्क आ सकता है, लेकिन यह अभी भी अधूरा है। किसान कर्ज में डूबे हुए हैं और उनका कर्ज माफ होना चाहिए, लेकिन कर्ज माफी का कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। यूरिया की कालाबाजारी हो रही है।”

सहारनपुर में हिन्दू बनकर 22 साल पहले हिन्दू लड़की भगाई थी, अब पुलिस ने किया ससुराल से गिरफ्तार !

उन्होंने आगे कहा, “एमएसपी गारंटी, स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट, और जीएम (जेनेटिकली मोडिफाइड) बीज के मुद्दे पर भी हम बात कर रहे हैं। बिजली के बिलों का निजीकरण हो रहा है, चाहे राजस्थान हो या उत्तर प्रदेश, हम कर्मचारियों के साथ हैं और उनकी समस्याओं को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। स्मार्ट मीटर लगाने की योजना है, जिससे बहुत से कर्मचारियों की छंटनी हो सकती है।”

यह भी पढ़ें :  स्वास्थ्य विभाग में बड़ा खेल, मुज़फ्फरनगर में टीम के पहुंचने से पहले ही ताला लगाकर फरार हुए डॉक्टर

मुजफ्फरनगर में जल निगम कार्यालय में हंगामा, बेटी की है शादी, ठेकेदार के नहीं हो रहे भुगतान !

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी अक्सर किसानों के बारे में बात करते हैं, लेकिन धरातल पर कोई बदलाव नहीं दिखता। किसान की जमीन तेजी से छीनी जा रही है, चाहे वह सड़क निर्माण के नाम पर हो या उद्योगों के लिए। भूमि अधिग्रहण एक्ट के तहत यह समस्या बढ़ रही है, लेकिन ये समस्याएं अभी तक हल नहीं हो पाई हैं। किसान संगठन भी जमीन के मुद्दे पर संघर्ष कर रहे हैं और इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। किसानों के लिए स्थिति और भी कठिन हो रही है। शिक्षा और स्वास्थ्य के अधिकार पर काम किया जा रहा है, लेकिन इसके मानक पूरे नहीं हो पा रहे हैं।”

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

76,719FansLike
5,532FollowersFollow
150,089SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय