नई दिल्ली। अजमेर दरगाह दीवान और ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत बताया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला उन लोगों को करारा जवाब है जो भारत की न्याय प्रणाली और आतंकवाद के खिलाफ उसकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाते हैं।
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चिश्ती ने कहा कि 26/11 मुंबई हमले के दोषियों को सजा दिलाने की दिशा में यह एक अहम कदम है। उन्होंने केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय की इस सफलता के लिए सराहना की और कहा कि इससे दुनिया में भारत की छवि एक मजबूत और न्यायप्रिय राष्ट्र के रूप में और मजबूत हुई है।
उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में राजनीति नहीं होनी चाहिए। जो भी देश या व्यक्ति भारत की शांति और अखंडता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा, उसे कड़ी सजा दी जानी चाहिए।